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स्टेम सेल रिसर्च पर नोबेल

८ अक्टूबर २०१२

मेडिकल साइंस को अगली पीढ़ी में ले जाने की कोशिश कर रहे वैज्ञानिकों गरडन और यामानाका को इस साल नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा. ब्रिटेन के प्रोफेसर गरडन ने जिस साल स्टेम सेल पर अपनी खोज की, उसी साल जापान में यामानाका पैदा हुए.

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तस्वीर: dapd

नोबेल पुरस्कारों की घोषणा करने वाले कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट ने सोमवार को स्टॉकहोम में जानकारी दी कि जॉन गरडन और शिन्या यामानाका को वयस्क शरीर की कोशिकाओं को फिर से भ्रूण वाली स्थिति में पहुंचाने की खोज के लिए मेडिकल साइंस का दुनिया का सबसे बड़ा पुरस्कार दिया जा रहा है.

दोनों वैज्ञानिकों ने कोशिकाओं और ऑर्गेनिज्म पर जो शोध किए हैं, उनसे भविष्य में बीमारियों का इलाज संभव होगा. नोबेल समिति के बयान में कहा गया कि दोनों ने इस बात का पता लगाया कि विकसित विशेष कोशिका की प्रोग्रामिंग कर उसे अविकसित कोशिका में बदला जा सकता है जो शरीर का टिश्यू यानी ऊत्तक बनने की अवस्था में होता है.

Nobelpreis Medizin Thomas Perlmann Karolinska Institut
पुरस्कार की घोषणातस्वीर: Reuters

वरिष्ठ ब्रिटिश वैज्ञानिक 79 साल के गरडन ने पुरस्कार जीतने की खबर के बाद कहा कि जब उन्हें इसके बारे में बताया गया तो वह अपनी प्रयोगशाला में थे. उन्होंने नोबेल की वेबसाइट से कहा, "मैं इसके लिए अत्यंत आभारी हूं. कोई इससे ज्यादा क्या कह सकता है." गरडन ने पता किया कि विकसित सेल को प्लूरीपोटेंट स्टेम सेल में बदला जा सकता है. इससे जानवरों की क्लोनिंग हो सकेगी. उन्होंने कहा कि उनके शोध के प्रमुख नतीजों को स्वीकार करने में 10 साल लग गए.

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से जुड़े गरडन ने महत्वाकांक्षी रिसर्च के बाद 1962 में इस बात की खोज की जबकि उनके साथ नोबेल पुरस्कार पाने वाले यामानाका उसी साल पैदा हुए. जापानी शहर क्योटो में यामानाका ने कहा कि सेल रिप्रोग्रामिंग का उनका शोध गरडन की खोज के बिना संभव नहीं होता. यामानाका ने कहा, "मैं अपनी परियोजना 50 साल पहले के उनके प्रयोगों की वजह से शुरू कर पाया."

Nobelpreis Medizin 2012
गरडन और यामानाकातस्वीर: picture-alliance/dpa

यामानाका ने नोबेल की वेबसाइट को बताया कि जब उन्हें पुरस्कार के बारे में स्टॉकहोम से फोन आया तो वह घर के कामकाज में लगे थे. वे क्योटो यूनिवर्सिटी में आईपीएस सेल रिसर्च सेंटर के निदेशक हैं. पुरस्कार पाने के बाद उन्होंने बयान दिया, "मैं अपने साथियों के साथ गंभीर बीमारियों के लिए दवा और इलाज तैयार करने के लिए और कड़ी मेहनत करूंगा. सारी जिंदगी मेरा लक्ष्य स्टेम सेल टेक्नोलॉजी को बिस्तर के करीब, मरीजों के पास, क्लीनिक के पास लाना रहा है."

इस साल का पुरस्कार 80 लाख स्वीडिश क्रोन है जो करीब सवा करोड़ रुपये के बराबर है. यह रकम दोनों वैज्ञानिकों में बराबर बराबर बांटी जाएगी. पिछले सालों में वित्तीय संकट का असर नोबेल फाउंडेशन की संपत्ति पर भी पड़ा है और उसने इस साल से पुरस्कार राशि में 20 फीसदी की कटौती करने का एलान किया है. फाउंडेशन का कहना है कि आने वाले दिनों में पुरस्कार को जारी रखने के लिए ऐसा करना जरूरी है. पहले यह रकम एक करोड़ स्वीडिश क्रोन से भी ज्यादा थी. नोबेल समिति पहले भी पुरस्कार राशि में बदलाव कर चुकी है.

Deutschland Forschung Petrischale Stammzelle Stammzellforschung im Labor
प्रयोगशाला में स्टेम सेलतस्वीर: DW

पिछले साल अमेरिका के ब्रूस बौएटलर और फ्रांस के यूल्स हॉफमन को जन्मजात प्रतिरोधक क्षमता पर उनके अध्ययन के लिए और कनाडा के राल्फ स्टाइनमन को प्रतिरोधी क्षमता को सक्रिय बनाने वाली डेंड्रिटिक कोशिका की खोज के लिए पुरस्कार दिया गया था. पुरस्कारों का एलान होने के अगले ही दिन कैंसर की वजह से स्टाइनमन की मौत की खबर आई.

अब रसायन और भौतिकी के लिए नोबेल पुरस्कारों की घोषणा की जाएगी. अक्तूबर में सभी छह पुरस्कारों के एलान के बाद परंपरागत रूप से पुरस्कार 10 दिसंबर को एक भव्य समारोह में दिए जाते हैं. यह पुरस्कारों के संस्थापक अलफ्रेड नोबेल की बरसी है.

एमजे/एजेए (डीपीए, रॉयटर्स)

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