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सुंदरता निखारेंगी आदिवासी युवतियां

१३ सितम्बर २०१३

पश्चिम बंगाल सरकार ने आदिवासी युवतियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें ब्यूटीशियन का प्रशिक्षण दिया है. 3 महीने के प्रशिक्षण के बाद 25 युवतियों को सरकार की ओर से प्रमाणपत्र और पार्लर के लिए कुछ सामान भी दिए गए.

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तस्वीर: DW/P. M. Tewari

प्रशिक्षण लेने वाली युवतियां अब अपने गांव में लौट कर घरों में ही ब्यूटी पार्लर खोलेंगी. इस प्रशिक्षण में हर युवती पर 17 हजार रुपए खर्च हुए हैं. इनमें से कुछ युवतियों को निजी पार्लरों में नौकरी भी मिल गई है. गांव की इन युवतियों को ब्यूटीशियन की ट्रेनिंग देने का जिम्मा सरकार ने निजी सौंदर्य प्रसाधन व सलाहकार संस्थाओं को सौंपा है.

बढ़ता आत्मविश्वास

पिछड़े तबके की इन आदिवासी युवतियों के सशक्तिकरण की दिशा में इस पहल ने इन युवतियों का आत्मविश्वास कई गुना बढ़ा दिया है. इनमें कुछ शादीशुदा महिलाएं भी हैं. इनके पति किसी तरह दैनिक मजदूरी के जरिए पेट पालते हैं. ऐसी ही एक महिला लक्ष्मी दास कहती है, "अब मैं भी कमा कर अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलाऊंगी." लक्ष्मी ने गर्भावस्था में ही इस प्रशिक्षण के लिए नाम लिखाया था. अब उसकी बेटी 40 दिनों की हो गई है. उसका पति शंकर राजमिस्त्री का काम करता है. घरवालों के विरोध के बावजूद उसने पत्नी को इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में भेजा था. प्रशिक्षण लेने वालों में पद्मा दास भी हैं. उनके पति का पिछले साल एक हादसे में निधन हो गया. 36 साल की पद्मा दास कहती है, "इस प्रशिक्षण ने मुझे जीने का एक नया सहारा दे दिया है." राज्य के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री उपेन विश्वास कहते हैं, "प्रशिक्षण पाने वाली ज्यादातर महिलाएं बेहद गरीब परिवारों से हैं. इस प्रशिक्षण के बाद उनमें एक नया आत्मविश्वास पैदा हुआ है."

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पिछड़ी जाति कल्याण मंत्री उपन बिस्वास सर्टिफिकेट देते हुएतस्वीर: DW/P. M. Tewari

गांवों में पार्लर

आखिर प्रशिक्षण के बाद यह युवतियां गावों में ब्यूटी पार्लर खोलेंगी कैसे? इसके लिए पूंजी कहां से मिलेगी? इस मुश्किल को आसान किया है पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम ने. निगम ने आदिवासी ब्यूटीशियनों को अपना पार्लर खोलने के लिए बेहद कम ब्याज पर कर्ज मुहैया कराया है. पहले बैच के कामयाब प्रशिक्षण के बाद अब दूसरे बैच में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली 25 महिलाओं को चुना गया है. इनकी उम्र 20 से 40 साल के बीच है. मंत्री उपेन विश्वास कहते हैं, "सुंदर दिखना हर औरत की चाहत होती है. चाहे वह समाज के किसी भी वर्ग की क्यों न हो. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस प्रशिक्षण की योजना बनाई." विश्वास ने अपने चुनाव क्षेत्र में देखा था कि तमाम महिलाएं पास-पड़ोस के शहरों के ब्यूटी पार्लरों में जाती हैं. अब उन औरतों को वहां नहीं जाना होगा.

प्रशिक्षण

सरकार ने इस प्रशिक्षण के लिए नदिया जिले के हरिणघाटा में हाल में एक प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की है. पहले बैच का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद सरकार ने राज्य के 15 शहरों में इसी तर्ज पर पिछड़े तबके की युवतियों को प्रशिक्षित करने की योजना बनाई है. दूसरे चरण में 84 शहरों-कस्बों में इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा. पहले बैच की कुछ युवितयों ने तो प्रशिक्षण के दौरान ही घर पर पार्लर खोल लिए हैं या घर-घर जाकर स्थानीय महिलाओं को बाल, त्वचा व सौंदर्य की देख-रेख संबंधी सलाह देने लगी हैं. प्रशिक्षण के आखिर में दीक्षांत समारोह में मौजूद मंत्री उपेन विश्वास की पत्नी रेणुका विश्वास, जो खुद भी इस प्रशिक्षण से जुड़ी थीं, बताती हैं, "इन युवितयों को उनके पारिवारिक और सामाजिक आवरण से निकाल कर प्रशिक्षण के लिए तैयार करना टेढ़ी खीर थी. किसी के पति को इस पर आपत्ति थी तो किसी के माता-पिता को." इस प्रशिक्षण में कोलकाता नगर निगम की भी भागीदारी है. निगम के मेयर शोभन चटर्जी कहते हैं, "प्रशिक्षण पूरा होने के बाद कुछ युवतियों को निजी पार्लरों में नौकरी भी मिल जाएगी."

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आदिवासी युवती सुनीता ओराओन के मुताबिक उन्हें इस प्रशिक्षण से आत्मविश्वास मिला.तस्वीर: DW/P. M. Tewari

कितना फायदा होगा

महानगर के एक कॉलेज मे समाजशास्त्र की प्रोफेसर अनिंदिता मित्र कहती हैं, "पिछड़े तबके की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह एक अच्छी पहल है. लेकिन इस सिलसिले को जारी रखना होगा." उनकी सलाह है कि कोई ऐसा तंत्र विकसित होना चाहिए जिससे इन महिलाओं के आगे के कामकाज पर निगाह रखी जा सके. उसी स्थिति में इस प्रशिक्षण का फायदा होगा. एक अन्य कालेज में अर्थशास्त्र पढ़ाने वाले प्रोफेसर हेमेन दासगुप्ता कहते हैं, "यह पहल सराहनीय है. लेकिन अभी इस दिशा में काफी कुछ करना बाकी है." सरकार इस मामले में काफी उत्साहित है. उपेन विश्वास कहते हैं, "राज्य के 341 ब्लॉकों में 40 हजार गांव हैं. हर गांव की एक-एक आदिवासी महिला को भी यह प्रशिक्षण दिया जा सके तो उनको ग्रामीण उद्यम विकास परियोजना के तहत कर्ज मुहैया कराया जा सकता है."

रिपोर्टः प्रभाकर, कोलकाता
संपादनः निखिल रंजन

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