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सागर रूनी कांड का एक साल

११ फ़रवरी २०१३

बांग्लादेश में पिछले साल मारे गए पत्रकार दंपती के परिवारवालों ने अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की है. बांग्लादेश सरकार ने 48 घंटों में हत्यारों को पकड़ने का दावा किया था, लेकिन 365 दिन बीतने के बाद भी कुछ नहीं हुआ.

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तस्वीर: DW

टीवी पत्रकारों सागर सरोवर और उनकी पत्नी मेहरुन रूनी की 11 फरवरी, 2012 को उनके घर में हत्या कर दी गई थी. एक साल बाद बांग्लादेश के सूचना मंत्री हसनुल हक इनू का कहना है कि इस मामले को जिस तरह से हैंडल किया गया, वह "लोकतंत्र के लिए शर्मनाक" है. उनका कहना है कि सरकार इस बात की कोशिश कर रही है कि मामले को जल्द सुलझा लिया जाए.

अब तक पुलिस ने न तो किसी संदिग्ध का नाम बताया है और न ही किसी को पकड़ा गया है. मीडिया में कयास लगाए गए हैं कि रूनी एक ऐसी स्टोरी पर काम कर रही थीं, जिसमें ऊर्जा के क्षेत्र में भ्रष्टाचार और सरकारी मिलीभगत का जिक्र था. रिपोर्टों के मुताबिक हत्या के साथ इनके सबूतों को घर से हटाना शामिल था. सरोवर अपने दोस्तों से कह चुके थे कि वे बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर होने वाले जुल्म के खिलाफ किताब लिख रहे हैं. समझा जाता है कि इस किताब का खाका उनके लैप टॉप में था, जो हत्या के बाद से गायब है.

Protest gegen Doppelmord an Journalisten in Dhaka
तस्वीर: DW

रूनी के भाई नौशेर रोमान लगातार अपनी बहन और जीजा के लिए इंसाफ की मांग करते आए हैं, "पिछले एक साल से हम संघर्ष कर रहे हैं और हमें निराशा हाथ लगी है. इन सब दिनों में हमें सिर्फ दिखावे की सहानुभूति मिली है."

हत्या के बाद से बांग्लादेश के ब्लॉगरों और पत्रकारों ने कई बार प्रदर्शन भी किए हैं. लेकिन बाद में विरोध ढीला पड़ता गया. पत्रकारों का कहना है कि जांच में शुरू से धांधली की गई और पुलिस ने घटनास्थल के साथ छेड़छाड़ भी होने दी. वहां से बरामद डीएनए के नमूने जांच के लिए चार महीने बाद अमेरिका भेजे गए क्योंकि अचानक पुलिस ने कहा कि उनके पास परीक्षणों के लिए जरूरी उपकरण नहीं हैं.

अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बोर्डर का कहना है कि इस मामले की जांच के लिए विशेष कमीशन बिठाई जानी चाहिए. ढाका के कानूनी संगठन एएसके के नूर खान का कहना है कि जांच बहुत अफसोसनाक ढंग से चल रही है, "लगातार डीएनए टेस्ट और कई गिरफ्तारियों के बाद भी पुलिस सिर्फ वक्त काट रही है, कुछ और नहीं." बहुत से लोगों को गिरफ्तार किया गया और बाद में बिना किसी आरोप के रिहा कर दिया गया.

Bangladesch Jahrestag Mord an Journalisten Sagar Sarowar und Meherun Runi
तस्वीर: DW/Harun Ur Rashid Swapan

मारे गए पत्रकारों के रिश्तेदारों ने अब इस मामले की जांच अंतरराष्ट्रीय संस्था से कराने की मांग शुरू कर दी है. सरोवर की मां सालेहा मुनीर का कहना है कि पुलिस दोषियों को पकड़ना ही नहीं चाहती. पुलिस पर दबाव पड़ा है और अब उसने इस मामले की दोबारा जांच शुरू की है. बताया जाता है कि इस सिलसिले में वह सागर रूनी के छह साल के बेटे से पूछताछ कर रही है. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर के लिए यह अस्वीकार चीज है, "लगातार छह साल के किसी बच्चे से पूछताछ गैरकानूनी है और अमानवीय है."

बांग्लादेश में पत्रकारों की स्थिति बेहद खराब है. वर्ल्ड प्रेस इंडेक्स मीडिया की आजादी पर 179 देशों की सूची जारी करता है, जिसमें बांग्लादेश 144 वें नंबर पर है. एक साल में यह 15 स्थान नीचे गया है. हाल ही में वहां एक प्रमुख ब्लॉगर को चाकू मार दिया गया था.

एजेए/एमजे (डॉयचे वेले)

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