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साइप्रस की दरार के 40 साल

२० जुलाई २०१४

फालागुस्ता का किनारा कभी हॉलीवुड के सितारों के साथ शोखियां करता था. इसकी सुनहरे रेत में रुपहले पर्दे की नायिकाएं अठखेलियां करती थीं. लेकिन आज यह वीरान है. यादों में सिर्फ कारतूस बसा है.

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Bildergalerie EU Badegewässer Zypern Pissouri Bay
तस्वीर: picture alliance/Stuart Black/Robert Harding

कई दशक हो गए, वरोशा के पास के इस बीच को सिर्फ 20 जुलाई को ही याद किया जाता है, जो साइप्रस के इतिहास में भोंका गया चाकू है. और यह चाकू रह रह कर थोड़ा और गहरा उतर जाता है, जो बताता है कि साइप्रस शायद दोबारा एक होने से बरसों दूर है.

1974 की गर्मियों में जब तुर्क सेना ने इलाके पर चढ़ाई की, तो वरोशा में रहने वाले 15,000 लोग भाग खड़े हुए. इसके बाद वरोशा के 600 हेक्टेयर को कंटीली तारों से बांध दिया गया. यह इलाका आज भी तुर्की के नियंत्रण में है और यहां कोई नहीं रहता. इस साल मई में अमेरिकी उप राष्ट्रपति जो बाइडेन ने साइप्रस का दौरा किया और कहा कि साइप्रस की समस्या का हल हो सकता है, अगर यहां मिलने वाले प्राकृतिक संसाधन का बंटवारा कर लिया जाए.

Mauer in Nikosia, Zypern, zwischen dem griechischen und türkischen Teil
राजधनी निकोसिया को बांटने वाली दीवारतस्वीर: picture-alliance/dpa

नो मैन्स लैंड

बाइडेन ने तुर्क और ग्रीक दोनों साइप्रटों से वादा किया कि वे इस धीमी रफ्तार से चलने वाली बातचीत को तेज करने की कोशिश करेंगे. यह बातचीत लंबे अंतराल के बाद फरवरी में शुरू हुई है. उम्मीद की जा रही है कि इसके बाद फालागुस्ता के लोग वापस आ सकेंगे.

फिलहाल ग्रीक साइप्रट दक्षिण में और तुर्क साइप्रट उत्तर में रहते हैं. उनके बीच एक इलाका है, जिस पर संयुक्त राष्ट्र की नजर रहती है. इसे नो मैन्स लैंड भी कहा जा सकता है. यूएन की अगुवाई में कई दौर की बातचीत के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल पाया है. कोशिश की जा रही है कि दोनों स्वायत्त प्रदेशों को एक केंद्रीय सरकार से नियंत्रित किया जाए. लेकिन सत्ता और संपत्ति के बंटवारे को लेकर एकराय नहीं बन रही है. हजारों लोग बेघर हुए थे और उनकी मांगों को पूरा कर पाना आसान नहीं दिखता.

समय साथ नहीं दे रहा

जानकारों का कहना है कि अगर जल्द समाधान नहीं निकला तो यह बंटवारा और गहरा हो जाएगा. यूरोपी और विदेश नीति फाउंडेशन के महानिदेशक थानोस डोकोस कहते हैं, "इस द्वीप के एकीकरण में समय साथ नहीं दे रहा है. जितना ज्यादा वक्त बीतेगा, दोनों तरफ के लोग उतना ज्यादा महसूस करेंगे कि बंटवारा स्थायी है. इसके बाद वे समाधान खोजने की कोशिश भी नहीं करेंगे."

किसी भी समझौते को मानने के लिए दोनों पक्षों में जनमत संग्रह कराया जाएगा. डोकोस का कहना है कि पहले की बातचीत नाकाम हो गई है और यह एक बड़ी बाधा होगी, "अगर कोई समझौता हो जाता, तो जनमत संग्रह आसान होता." उनका कहना है कि यह एक भावनात्मक मुद्दा है और इसके लिए सिर्फ 50 फीसदी वोट से काम नहीं चलेगा, "ऐसे में ग्रीक साइप्रट एकजुट होंगे और यह एकीकृत साइप्रस के लिए अच्छा नहीं होगा."

लेकिन इसकी संभावना बहुत कम है. दोनों पक्षों ने संकेत दिए हैं कि वे झुकने को तैयार नहीं और ऐसे में साइप्रस का दोबारा मिलना दूर की कौड़ी लगती है.

एजेए/आईबी (डीपीए)