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खतरनाक होती है सर की चोट

३१ दिसम्बर २०१३

सर की चोट से सीधे जान पर बन आती है, जैसा महान खिलाड़ी मिषाएल शूमाखर के साथ हुआ है. अगर चोट गंभीर दिख रही हो तो जल्दी इलाज शुरू करना होता है. चोट अंदरूनी हो तो उसके भयंकर नतीजे हो सकते हैं.

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मस्तिष्क पर चोट से जम सकते हैं खून के थक्केतस्वीर: IMBA/M. A. Lancaster

क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि चोट लगने पर सर के अंदर क्या होता है? होता ये है कि करीब 1.3 किलो वजन वाले, कोमल जेली जैसे पदार्थ से बने मानव मस्तिष्क पर जब चोट लगती है तो वो खोपड़ी की कठोर संरक्षक दीवार से टकराती है. इस टक्कर में तंत्रिकाओं, मस्तिष्क कोशिकाओं और रक्त वाहिकाओं को काफी नुकसान पहुंच सकता है. इससे मस्तिष्क में खून के थक्के जम सकते हैं. और ज्यादा गंभीर चोट के मामलों में मस्तिष्क पर दबाव बढ़ने से वो सिकुड़ कर छोटा हो सकता है जिससे स्थाई रूप से विकलांग होने या जान तक जाने का खतरा होता है.

मस्तिष्क है नाजुक, उपचार हैं सीमित

जब डॉक्टर को मस्तिष्क पर चोट का संदेह होता है तो वे एक्स रे या फिर अत्याधुनिक तकनीक वाले 3 डी स्कैनर्स का इस्तेमाल करके चोट की गंभीरता का पता लगाने की कोशिश करते हैं. आघात कितना गहरा है ये जानने के बाद भी उपचार के लिए बहुत कम विकल्प मौजूद हैं. दवाईयां मस्तिष्क में बढ़ते हुए दबाव को थोड़ा कम करने में मदद कर सकती हैं लेकिन कई मामलों में सर्जरी की जरूरत होती है.

रविवार को स्कीइंग के दौरान लगी गंभीर चोट के बाद फॉर्मूला वन के सात बार चैंपियन रहे मिषाएल शूमाखर को फ्रांस के एक अस्पताल में कृत्रिम कोमा में रखा गया है. उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों ने बताया है कि शूमाखर को कृत्रिम कोमा में इसलिए रखा गया है ताकि सिर की चोट से उनके मस्तिष्क को कम से कम नुकसान पहुंचे. आईसीयू के प्रमुख यान-फ्रांसोआ पायां का कहना है, "अभी हमारा लक्ष्य है कि हर तरह से मस्तिष्क को बाहर के किसी भी प्रभाव से बचाया जाए और उसमें अधिक से अधिक ऑक्सीजन का संचार हो सके."

Michael Schumacher Porträt
फॉर्मूला वन चैंपियन मिषाएल शूमाखर जूझ रहे हैं सिर पर लगी गंभीर चोट सेतस्वीर: picture-alliance/dpa

"बोलो और मरो" सिंड्रोम

कोमा की स्थिति में मस्तिष्क बाहर से होने वाले असर से बचा रहता है. चोटिल मस्तिष्क को कृत्रिम रूप से कोमा में रख देना एक आजमाया हुआ तरीका है. जब मरीज कोमा की स्थिति में होता है तो उसके शरीर का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस या 95 डिग्री फारेनहाइट के आसपास रहता है. शरीर थोड़ा ठंडा पड़ने की वजह से अंगों में सूजन कम होने में काफी मदद मिलती है. अचेत अवस्था में मस्तिष्क आसपास की आवाजों, रोशनी और अन्य कई तरह की चीजों के प्रति उदासीन रहता है जिससे मस्तिष्क में ऑक्सीजन बचा रहता है.

मस्तिष्क में लगी किसी चोट के लक्षण दिखने में 48 घंटे तक लग सकते हैं. यही कारण है कि सर पर लगी मामूली सी लगने वाली चोट को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और डॉक्टर की राय जरूर लेनी चाहिए. क्लिनिकल न्यूरोसाइंस पत्रिका में 2007 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार एक प्रमुख ट्रॉमा केंद्र के दस सालों के रिकार्डों को देखकर पता चलता है कि वहां दर्ज किए गए मस्तिष्क आघात के हर 40 में से एक मामले में "टॉक एंड डाइ" या "बोलो और मरो" सिंड्रोम पाया गया. इस सिंड्रोम का मतलब ये है कि मरीज को दुर्घटना के तुरंत बाद तो ठीक ही महसूस हुआ लेकिन धीरे धीरे स्थिति बिगड़ती गई और आगे चलकर खोपड़ी के अंदर कुछ बिगड़ने से उनकी मौत हो गई.

"बोलो और मरो" सिंड्रोम का ही एक मामला अभिनेत्री नताशा रिचर्डसन का माना जाता है. 2009 में स्की करते हुए वह गिर पड़ी थीं जो दिखने में एक साधारण चोट लगी लेकिन बाद में उसी चोट की वजह से उनकी मौत हो गई. स्की करते हुए गिरने से हुई जानलेवा दुर्घटनाओं में सौनी बोनो, डच राजकुमार योहान फ्रिसो और कैनेडी घराने के सदस्य माइकल कैनेडी के नाम शामिल हैं.

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मस्तिष्क का फ्रंटल लोब है याददाश्त, भावनाओं और समस्याओं को सुलझाने का केंद्रतस्वीर: Fotolia/marksykes

कोई चोट मामूली नहीं

जरूरी नहीं कि किसी बड़ी दुर्घटना के चलते ही मस्तिष्क आघात होता है. कई मामलों में सर पर बार बार लगी छोटी छोटी चोटें भी आगे चलकर गंभीर समस्या का रूप ले लेती हैं. यही कारण है कि अमेरिकन फुटबॉल, रग्बी और आइस हॉकी जैसे कई खेलों पर अब बहुत बारीकी से नजर रखी जा रही है जिसमें टक्कर होने और सर पर चोट लगने की बहुत संभावना होती है.

अमेरिकन फुटबॉल के पूर्व खिलाड़ियों में 30 से 49 साल की उम्र में अल्जाइमर्स, डिमेंशिया या याददाश्त से जुड़ी अन्य बीमारियां होने की संभावना आम लोगों से 20 गुना ज्यादा होती है. राष्ट्रीय फुटबॉल लीग की 2009 की एक रिपोर्ट में ये बताया गया है. लंदन के इंपीरियल कॉलेज में कार्यरत तंत्रिकाविज्ञानी एडम हैंपशर का कहना है कि वो 13 पूर्व फुटबॉल खिलाड़ियों के मस्तिष्क का अध्ययन कर दंग रह गए थे. हैंपशर ने उन सबके फ्रंटल लोब या उस हिस्से का निरीक्षण किया जो इंसान में याददाश्त, भावनाओं और समस्याओं को सुलझाने का केंद्र होता है.

"उनके मस्तिष्क में मैंने अपने जीवन की सबसे बड़ी असामान्यताएं देखीं," हैंपशर आगे कहते हैं कि, "इसकी बहुत संभावना है कि सर पर लगी चोटें इकट्ठी होती रहती हैं और जीवन में आगे चलकर किसी बड़ी क्षति का कारण बनती हैं."

आरआर/एमजे (एएफपी)

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