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संग्रहालय में सेक्स वर्करों के राज

८ फ़रवरी २०१४

एम्सटर्डम में हर शाम रेड लाइट इलाके में हजारों सैलानी चहलकदमी करते नजर आएंगे. शीशे की दूसरी तरफ कम कपड़ों में खड़ी महिलाओं को घूरते सैलानी. अब ऐसा म्यूजियम खुला है जो इन महिलाओं के बारे में बताता है.

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Museum Red Light Secrets in Amsterdam
तस्वीर: picture-alliance/AP

शीशे के उस पार की दुनिया बिलकुल अलग है. घर चलाने के लिए उन्हें जिस्म बेचना पड़ता है. इन यौनकर्मियों की जिंदगी पर अब एक शैक्षिक संग्रहालय खोला गया है. म्यूजियम इन महिलाओं की असल जिंदगी के बारे में लोगों को बताता है. इसके आयोजक मेलशर डे विंड कहते हैं के रेड लाइट के रहस्यों वाली यह जगह उन लोगों के लिए है जो इस बारे में और जानकारी चाहते हैं. ये उन लोगों के लिए है जो बिना किसी यौनकर्मी के पास जाए उनकी जिंदगी के बारे में जानना चाहते हैं.

संग्रहालय उस इमारत में बनाया गया है जहां पहले कभी सेक्स वर्कर काम किया करती थीं. संकरी सी इस इमारत में उनकी तस्वीरें लगी हैं. इन महिलाओं की जिंदगी से जुड़ी एक छोटी फिल्म भी यहां दिखाई जाती है. जो इनके रोजमर्रा के कामों में मदद करने वालों पर आधारित है. फिल्म में उन लोगों के बारे में बताया गया है, जो यौनकर्मियों के दूसरे कामों में हाथ बंटाते हैं. जैसे कमरा साफ करने वाले या कमरे की मरम्मत करने वाले, कपड़े धोने वाले, काम के दौरान कॉफी या खाना पहुंचाने वाले.

Symbolbild Prostitution
साल 2000 में देह व्यापार को कानूनी मान्यता मिलीतस्वीर: picture-alliance/dpa

मुश्किल भरी जिंदगी

एम्सटर्डम में सेक्स वर्कर आधे दिन के हिसाब से किराये पर जगह लेती हैं. खिड़की के आगे शीशे लगे होते हैं. अपने ग्राहकों को लुभाने के लिए वे यहीं खड़ी होती हैं. शिफ्ट 11 घंटे की होती है, जिसमें से ज्यादातर वक्त इंतजार में बीत जाता है. जब कोई ग्राहक नहीं आता तो यह अपना खाली समय बाल बनाने, नाखून वाले सैलून जाने या कपड़ों की खरीदारी में बिताती हैं. रेड लाइट डिस्ट्रिक्ट के बीचों बीच एक नर्सरी स्कूल भी है. फिल्म के एक दृश्य में दिखाया गया है कि अधेड़ उम्र की सेक्स वर्कर से दोपहर के वक्त उसकी बेटी मुलाकात करने आती है.

इलाके का इतिहास

16वीं सदी में एम्सटर्डम की पहचान ऐसी जगह के तौर पर होने लगी जहां नाविक थकान मिटाने के लिए रुकते थे और आराम के लिए तट के पास बसे रेड लाइट इलाके में घूमने जाते थे. उस जमाने में मसालों के कारोबारी बहुत धनी थे और वे सेक्स वर्करों पर अच्छी खासी रकम खर्च कर सकते थे. नगर प्रशासन उन्हें नजरंदाज कर देता था. संग्रहालय साल 2000 के बाद के युग पर केंद्रित है, जब नीदरलैंड्स में देह व्यापार को कानूनी रूप दे दिया गया.

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Symbolbild Prostitution

शहर की सेक्स वर्करों की संस्था चलाने वाले योलांडा फान डोएवेरन के मुताबिक रेड लाइट इलाका जिला पुलिस के अधिकारियों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, कर अधिकारियों और नागरिक अधिकार समूहों द्वारा नियंत्रित है. अगर कोई नई लड़की खिड़की पर देह व्यापार करती नजर आती है तो उसको तुरंत नोटिस में लिया जाता है. उस लड़की को जरूरी कागजात दिखाने होते हैं, जो उसे यह काम करने का अधिकार देते हैं. हाल ही में एम्सटर्डम में देह व्यापार के लिए कानूनी उम्र 18 साल से बढ़ा कर 21 साल की गई है.

खिड़की में जिंदगी

संग्रहालय की सैर फिर शुरू होती है. हॉल में काम करने वालों के नाम लिखे हैं. सफेद बोर्ड पर उन औरतों के नाम हैं, जो काम पर मौजूद हैं. नाम के आगे कमरा नंबर लिखा है, ग्राहक के साथ मिलने का समय और काम वाले दिन लिखे हैं. सेक्स वर्कर यूनियन चलाने वाली इलोनका स्टाकेलबोरो के मुताबिक नौ फीट लंबे और छह फीट चौड़े कमरे में ग्राहकों के लिए सारी सुविधा उपलब्ध है सिवाय खुशबू के. इलोनका के मुताबिक खुशबू लगाने से ग्राहक की पत्नी को पता चल सकता है कि वह कहां से होकर आया है.

इलोनका से जब यह पूछा गया कि क्या ज्यादातर ग्राहक शादीशुदा मर्द होते हैं तो वह कहती हैं कि साधारण तौर ऐसा नहीं है. सभी प्रकार के पुरुष, शादीशुदा, अविवाहित, जवान या बुजुर्ग सभी आते हैं. दिन के किसी भी समय. इलोनका बताती हैं कि "कई तो ऐसे हैं कि सुबह दफ्तर जाने के पहले ही चले आते हैं." देह व्यापार के काम में लगी कुछ ही महिलाएं मध्यम वर्ग आय वालों जितना कमा पाती हैं.

वह बताती हैं कि ऐसा नहीं कि खूबसूरत या कम उम्र वाली लड़की ही ज्यादा पैसे कमाती हैं. उनके मुताबिक ग्राहक कम हैं, मुनाफा इमारत के मालिकों के साथ बांटा जाता है. "आधे दिन के लिए खिड़की का किराया करीब 150 यूरो होता है. 15 मिनट तक सेवा देने वाली यौनकर्मी 50 यूरो ग्राहक से वसूल करती है." करीब 75 फीसदी महिलाएं रोमानिया या बुल्गारिया जैसे गरीब देशों से आती हैं.

संग्रहालय के अंत में एक दीवार है जिस पर सेक्स वर्करों के दिल की बातें लिखी हैं. हॉलैंड की एफा ने लिखा, "यह काम कमजोर दिल वालों का नहीं है. मैं और ज्यादा कठोर हो गई हूं." रोमानिया की कारमेन लिखती हैं, "यह काम मुझे अकेलापन महसूस कराता है. मेरी मां नहीं जानती कि मैं क्या करती हूं."

एए/एजेए (एपी)

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