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लाइफस्टाइल बदलें डिमेंशिया रोकें

१६ जुलाई २०१४

दुनिया भर में याददाश्त खोने वाली बीमारी अल्जाइमर के मामले बढ़ रहे हैं. एक ओर स्वास्थ्य अधिकारी इस समस्या से लड़ने के लिए जूझ रहे हैं तो वैज्ञानिकों का कहना है कि लाइफस्टाइल बदल कर इसके जोखिम को कम किया जा सकता है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

अल्जाइमर बढ़ी हुई उम्र से जुड़ी दिमागी बीमारी है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह जीन और माहौल से प्रभावित होती है. आबादी में लगातार वृद्धि और जीवन दर के बढ़ने से 2050 तक अल्जाइमर बीमारी वाले लोगों की संख्या 10.6 करोड़ हो जाएगी. 2010 में अल्जाइमर पीड़ित लोगों की तादाद 3 करोड़ थी. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पब्लिक हेल्थ की प्रोफेसर कैरोल ब्राइन के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने उन सात जोखिमों पर शोध किया है जिन्हें अल्जाइमर के साथ जोड़ कर देखा जाता है. यह रिपोर्ट द लांसेट न्यूरोलॉजी पत्रिका में छप रही है.

अल्जाइमर को बढ़ावा देने वाले ये सात जोखिम हैं, डायबिटीज, अधेड़ उम्र में होने वाला हाइपर टेंशन और मोटापा, शारीरिक असक्रियता, डिप्रेशन, सिगरेट पीना और शैक्षिक उपलब्धि का अभाव. रिपोर्ट के अनुसार इन सब कारकों में यदि जोखिम का अनुपात 10 फीसदी कम कर दिया जाए तो 2050 तक दुनिया भर में अल्जाइमर में 8.5 फीसदी की कमी की जा सकेगी. इसका मतलब 90 लाख मामले कम होंगे. 2011 में हुए एक अध्ययन के अनुसार लाइफस्टाइल में परिवर्तन से दो में से एक मामले में अल्जाइमर को रोका जा सकता है.

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तस्वीर: DW

अब नए अध्ययन का कहना है कि यह अनुमान काफी ज्यादा था क्योंकि कुछ जोखिम एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं. मिसाल के तौर पर डायबिटीज, हाइपरटेंशन और मोटापा शारीरिक परिश्रम या व्यायाम न करने के साथ जुड़ा है और ये सब शिक्षा के निम्न स्तर से भी प्रभावित होते हैं. यह अध्ययन इस गणितीय मॉडल पर आधारित है कि सात बीमारियां अल्जाइमर का कारण हैं न कि संबंधित कारक. यह चिकित्सा विज्ञान की विवादास्पद मान्यता है.

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी द्वारा जारी एक बयान में ब्रायन ने कहा है. "हालांकि डिमेंशिया को रोकने का कोई एक रास्ता नहीं है लेकिन हम बुढ़ापे में डिमेंशिया होने के जोखिमों को घटा सकते हैं. हमें पता है कि ये कारक क्या हैं और वे अक्सर आपस में एक दूसरे के जुड़े होते हैं. मसलन शारीरिक सक्रियता बढ़ाकर मोटापे, हाइपरटेंशन और डायबिटिज को घटाया जा सकता है और कुछ लोगों मे डिमेंशिया होने से रोका जा सकता है क्योंकि स्वस्थ बुढ़ापा सबके लिए अच्छा है."

एमजे/ओएसजे (एएफपी)