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रोहानी ने बढ़ाई ईरान से उम्मीदें

२५ सितम्बर २०१३

लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र बहुत तीखी जबान में ईरान को सुन रहा था. इस बार भी बहुत कुछ बदला नहीं लेकिन नए राष्ट्रपति हसन रोहानी के लहजे की थोड़ी सी नरमी में दुनिया बदलते रुख को महसूस कर रही है.

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तस्वीर: Reuters

ईरान के नए राष्ट्रपति का दुनिया के नेताओं को पहला संबोधन इस्राएल विरोधी नारों की गैर मौजूदगी और परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत की पेशकश से सख्त ईरानी रुख में नरमी का अहसास दिला गया है. हालांकि हसन रोहानी ने संयुक्त राष्ट्र की वार्षिक महासभा में जब बोलना शुरू किया तो अमेरिका और पश्चिमी देशों की आलोचना में पिछले राष्ट्रपति की छाप भी साफ नजर आई.

Hassan Rohani / Iran / UN-Vollversammlung / New York
तस्वीर: Reuters

रोहानी ने अपने भाषण से यह संकेत दिया है कि ईरान सुधार के उपायों की ओर लौटना चाहता है लेकिन इसके साथ यह भी साफ है कि कूटनीतिक नरमी इतनी आसानी से और जल्दी वापस नहीं आएगी.

अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन पर बुधवार को प्रसारित एक इंटरव्यू में रोहानी एक कदम और आगे गए और कहा, "नाजियों ने यहूदियों के खिलाफ जो अपराध किया वह निंदनीय है." इसके उलट पूर्व राष्ट्रपति अहमदीनेजाद ने होलोकॉस्ट को "मिथक" कहा था और यह भी कि इस पर और रिसर्च होना चाहिए जिससे पता चले कि यह सचमुच हुआ था या नहीं. रोहानी ने हल्के से फलीस्तीन की तकलीफों को भी छुआ और अपना भाषण कुरान और बाइबल के साथ ही तोराह के संदर्भों के साथ पूरा किया.

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका और ईरान के राष्ट्रपतियों का एक दूसरे से सामना होने को लेकर अटकलें लग रही थीं. दोपहर के खाने से नदारद रह कर रोहानी ने उन नजरों का इंतजार बढ़ा दिया जो उन्हें राष्ट्रपति ओबामा से हाथ मिलाते देखने की ताक में थे. महासभा में ओबामा के भाषण के कुछ ही घंटों बाद रोहानी ने भाषण दिया. ओबामा ने लंबे समय से ईरान के साथ चले आ रहे अलगाव की बात की और कहा कि इससे पहले कि अमेरिका अपने कड़े रुख में बदलाव करे उन्हें इस बात के सबूत की जरूरत होगी कि ईरान भरोसा करने लायक है. ओबामा ने कहा, "मैं नहीं मानता कि इस मुश्किल इतिहास से रातों रात उबरा जा सकता है, संदेह काफी गहरा है, लेकिन मैं यह जरूर मानता हूं कि अगर हम ईरान के परमाणु कार्यक्रम के मसले को सुलझा सके तो यह एक अलग रिश्तों की दिशा में बड़ा कदम होगा, जिसका आधार आपसी हित और आपसी सम्मान होगा."

Barack Obama Rede UN
महासभा में ओबामातस्वीर: Reuters

रोहानी ने कहा है कि दुनिया के देश अगर यह मान लें कि उसे यूरेनियम संवर्धन का अधिकार है तो वह परमाणु कार्यक्रम पर तुरंत बातचीत के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि ना सिर्फ ईरान बल्कि दुनिया के सभी देशों को सार्वजनिक रूप से यह प्रतिबद्धता लेनी चाहिए कि परमाणु कार्यक्रम सिर्फ शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है. रोहानी और ओबामा ने एक दूसरे का भाषण नहीं सुना लेकिन रोहानी ने कहा है कि उन्होंने ओबामा की बातों पर नजर डाली है और भरोसा है कि दोनों देश अपने मतभेद दूर कर सकेंगे.

इस्रायल पर हालांकि रोहानी के रुख से कोई फर्क नहीं पड़ा है. इस्रायल के रणनीति और खुफिया मामलों के मंत्री युवाल स्टेनित्स ने संयुक्त राष्ट्र में भाषण के बाद जल्दबाजी में बुलाए प्रेस कांफ्रेंस में कहा, "रोहानी आज यहां दुनिया को धोखा देने आए हैं और दुर्भाग्य से यहां बहुत से ऐसे लोग हैं जो धोखा खाना चाहते हैं."

रोहानी के भाषण पर कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस से जुड़े ईरान विशेषज्ञ करीम साजादपोर नहीं मानते कि रोहानी का भाषण समझौतावादी था. साजादपोर के मुताबिक उनसे पहले ईरान के राष्ट्रपति रहे महमूद अहमदीनेजाद ने "गरिमामय व्यवहार को बहुत गिरा दिया" था और रोहानी के भाषण में ध्रुवीकरण और विभाजन के सुर थोड़े कम हैं. साजादपोर ने कहा, "अहमदीनेजाद की भाषा इतनी कड़वी थी कि उसके मुकाबले निश्चित रूप से वह नरम नजर आ रहे हैं." कुछ जानकारों का कहना है कि रोहानी का भाषण पूर्व ईरानी राष्ट्रपतियों अकबर हाशमी रफसंजानी और खासतौर से मोहम्मद खतामी जैसे रुख के संकेत दे रहा है.

एनआर/एमजे (एपी, रॉयटर्स)

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