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रेप कांड फास्ट ट्रैक कोर्ट में

१७ जनवरी २०१३

दिल्ली में दिसंबर में हुआ बलात्कार कांड फास्ट ट्रैक अदालत को सौंप दिया गया है. चलती बस में छात्रा के बलात्कार के बाद भारत में जबरदस्त हंगामा हुआ था, जिसके बाद फास्ट ट्रैक अदालत में रेप के मामले निपटाने का फैसला किया गया.

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तस्वीर: Reuters

साकेत में एक जिला मजिस्ट्रेट ने इसका फैसला सुनाते हुए मामले को फास्ट ट्रैक अदालत को सौंपा. अब आने वाले सोमवार से इस मामले की नियमित सुनवाई की जाएगी.

पांच आरोपियों में से एक के वकील सदाशिव गुप्ता ने बताया, "मजिस्ट्रेट ने इस मामले को सत्र न्यायालय भेज दिया है, जो एक फास्ट ट्रैक कोर्ट है." गुप्ता ने बताया कि उस अदालत की पहली सुनवाई 21 जनवरी को होगी. गुप्ता के मुवक्किल के अलावा चार और लोगों पर बलात्कार और हत्या के मामले चल रहे हैं. दोषी पाए जाने पर उन्हें मौत की सजा भी हो सकती है. इन पर आरोप है कि 16 दिसंबर की रात इन्होंने चलती बस में 23 साल की एक छात्रा का अपहरण किया और बलात्कार के बाद बेहद बुरे हाल में उसे सड़क पर फेंक दिया. दो हफ्ते तक इलाज के बाद सिंगापुर के एक अस्पताल में लड़की ने दम तोड़ दिया.

Indien Vergewaltigung Prozess
तस्वीर: Reuters

इस मामले में एक और आरोपी है, जो नाबालिग बताया जा रहा है. उसकी अलग से सुनवाई हो रही है. बलात्कार की घटना के बाद दिल्ली के लोग भड़क उठे और उन्होंने इंडिया गेट पर जबरदस्त धरना प्रदर्शन किया. सरकार ने दबाव में आते हुए कुछ कदम उठाए. इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने फास्ट ट्रैक अदालत बनाने का निर्देश दिया.

देश भर में इन अदालतों को चलाने के लिए 2000 नए जजों की नियुक्ति होगी. भारत के मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर ने पिछले महीने राजधानी में पांच फास्ट ट्रैक कोर्ट का उद्घाटन किया था.

दिल्ली बलात्कार कांड में सरकारी वकील का कहना है कि उनके पास दस्तावेजी सबूत हैं और इस आधार पर वे आरोपियों के लिए मौत की सजा मांगेंगे. दूसरी तरफ आरोपियों के वकीलों का दावा है कि पुलिस ने हिरासत के दौरान उनके साथ मारपीट की है.

Indien Vergewaltigung Proteste
तस्वीर: Reuters

इस मामले की गंभीरता और लोगों की हिस्सेदारी को देखते हुए भारत सरकार ने पहले ही कहा है कि वह इस मामले को गंभीरता से लेना चाहती है. इस बीच एक और आरोपी के वकील एपी सिंह का कहना है कि उनके मुवक्किल को बुरी तरह पीटा गया है, "जेल में उसे बुरी तरह टॉर्चर किया गया. दूसरे कैदियों ने उसे मारा और धक्का दिया. वह अदालत में खड़ा नहीं हो पा रहा था क्योंकि उसकी बुरी तरह पिटाई हुई है. यह अफसोस की बात है कि जेल प्रशासन उन्हें सुरक्षा नहीं दे पा रहा है."

सरकारी वकील ने अपील की थी कि अदालत में पेश किए जाते समय इन पांच आरोपियों को हथकड़ी में लाया जाए क्योंकि ये बेहद खतरनाक हैं लेकिन गुप्ता ने बताया कि अदालत ने उनकी यह अपील खारिज कर दी.

फिलहाल इस मामले की रिपोर्टिंग को लेकर कई तरह की पाबंदियां चल रही थीं और मामला बंद कमरे में चल रहा था. अभी यह तय नहीं हो पाया है कि फास्ट ट्रैक में भी क्या मामला बंद कमरे में ही चलेगा.

एजेए/एमजे (पीटीआई, एएफपी)

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