रूला गया हंसाने वाला
२५ अक्टूबर २०१२कॉमेडियन और उनसे जुड़ी खबरें अकसर हंसाती है लेकिन पहली बार ऐसा हुआ जब जसपाल भट्टी का नाम सुन लोगों की आंखें भर आईं. आज उनकी नई पंजाबी फिल्म 'पावर कट' रिलीज होनी थी और इसी के प्रचार के लिए जसपाल बठिंडा से जालंधर जा रहे थे. रास्ते में उनकी गाड़ी पेड़ से जा टकराई. हादसे में जसपाल भट्टी की मौत हो गई जबकि उनका बेटा जसराज और फिल्म की अभिनेत्री सुरीली गौतम घायल हैं. गुरुवार सुबह सुबह लोगों को यह दुखद खबर मिली.
भारत में दूरदर्शन के जमाने से टीवी देखने वाले लोग इस नाम का मतलब जानते हैं. गंभीर चेहरा और शालीन आवाज में बड़ी सादगी से जसपाल व्यंग की बारिश करते. सामने जनता पेट पकड़ कर लोट पोट होती पर उनके होठों पर एक मुस्कान तक नहीं. अकसर यह यकीन करना मुश्किल हो जाता कि सचमुच जसपाल ही बोल रहे हैं या कोई और, अपनी हंसी पर इतना जबर्दस्त काबू बहुत कम ही लोगों के पास होता है खासतौर से जबकि सामने खिलखिलाते लोगों की जमात हो.
जसपाल के व्यंग में जितनी सादगी भरी थी उससे कई गुना ज्यादा तीखी उसकी धार होती. बड़ी बात यह कि कभी किसी पर निजी हमला नहीं. जब भी मुंह खोला आम आदमी की मुश्किलों की बात की, भ्रष्टाचार और नेताओं की नाकामियों को निशाना बनाया. यह एक बड़ी वजह है कि उनके चाहने वाले हर तरफ मौजूद हैं. अखबारों में कार्टून बनाया, टीवी के लिए सीरियल बनाए, अभिनय किया, फिल्मों में काम भी किया और बनाई भी, नुक्कड़ नाटक किए और तो और महंगाई से पीड़ित आम लोगों का दर्द नेताओं तक पहुंचाने के लिए स्टॉल जमा कर भी बैठ गए. लोगों को निशाना लगाने के लिए कहा और इनाम में सब्जियां और दाल, चावल जैसी चीजें बांटी. लोग अकसर इंतजार करते कि अब जसपाल क्या करेंगे. एक बार तो लोकसभा चुनाव के वक्त में जसपाल ने मंदी पार्टी ही बना डाली और खुद को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया. वादा किया कि चुनाव जीते गए तो चंडीगढ़ के आस पास झुग्गी बस्तियां बसाएंगे ताकी ज्यादा से ज्यादा स्लमडॉग मिलियनेयर जैसी फिल्में बन सकें और खूब सारे ऑस्कर अवॉर्ड भारत आएं.
आम आदमी की तकलीफों के बारे में बात करने का उनका तरीका निराला था और वो अपने उल्टे पुल्टे तरीकों से लोगों तक पहुंच ही जाते. केवल 10 एपीसोड का उनका बनाया टीवी सीरियल 'फ्लॉप शो' खूब कामयाब हुआ और 1989 में इस सीरियल के साथ ही जसपाल भारत के घर घर में पहचाने जाने लगे. इसके बाद उल्टा पुल्टा, हाय जिंदगी बाय जिंदगी, फुल टेंशन, थैंक्यू जीजाजी जैसे टीवी सीरियलों ने उनके हंसने हंसाने के सिलसिले को आगे बढ़ाया. टीवी पर सुर्खियां बटोरने के साथ ही जसपाल फिल्मों में भी सक्रिय हो गए और भूमिकाएं निभाई. 1999 में उन्होंने अपनी पहली फिल्म बनाई 'माहौल ठीक है.' हालांकि फिल्मों से ज्यादा उनकी सक्रियता टीवी और नुक्कड़ नाटकों में रही है. हाल ही में वह अपनी बीवी सविता के साथ नच बलिये में डांसर जोड़ी बन कर भी आए थे.
जसपाल भट्टी के चुटीले चुटकुले और करारे व्यंगों ने लंबे समय तक लोगों को गुदगुदाया. जसपाल भले ही अब न रहे हों लेकिन सादगी से कही उनकी बातें होठों पर मुस्कान लाने के लिए हमेशा काम आती रहेंगी.
रिपोर्टः एन रंजन/ पीटीआई
संपादनः ओंकार सिंह जनौटी