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ये सजा नहीं, क्रूरता है

२८ जून २०१४

अमेरिकी कैदियों ने मौत की सजा में इस्तेमाल होने वाले नए जहरीले इंक्जेशन के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया है. कैदियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि मृत्यु दंड के नाम पर हो रहे प्रयोग संविधान के खिलाफ हैं.

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तस्वीर: BilderBox

मत्यु दंड पा चुके एक कैदी का आखिरी लम्हा आ गया. उसे जहरीला इंजेक्शन लगाया गया. वो 43 मिनट तक छटपटाता रहा. घटना ने अमेरिकी में होने वाली बर्बरता का पर्दाफाश कर दिया.

मामला ओकलाहोमा की जेल का है. हत्या और बलात्कार के दोषी क्लैटन लॉकेट को अप्रैल में जहरीला इंजेक्शन दिया गया. आम तौर पर जहरीले इंजेक्शन से मरने में 10-11 मिनट लगते हैं. लेकिन लॉकेट को 20 मिनट बाद होश आ गया. इसके बाद वो छटपटाता रहा और 43 मिनट बाद हार्ट अटैक से उसकी मौत हो गई. उसकी चीखों ने दूसरे कैदियों को भी झकझोर दिया. मामले के जेल की चाहरदीवारी से बाहर आते ही भारी आलोचना होने लगी.

मानवाधिकारों पर पूरी दुनिया को लंबी चौड़ी नसीहत देने वाले अमेरिका को खुद बगलें झांकने पर मजबूर होना पड़ा. राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इसकी निंदा की. अब जेल के कुछ कैदियों ने मृत्यु दंड के नाम पर हो रहे प्रयोग के खिलाफ याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि मौत की सजा में इन दवाओं का इस्तेमाल करना "क्रूरतापूर्ण और अप्राकृतिक सजा है. ये अमेरिकी संविधान के आठवें और 14वें संशोधन का उल्लंघन है."

ओकलाहोमा जेल में अगली मौत की सजा नवंबर में दी जानी है, लेकिन उससे पहले ही दायर याचिका में यह भी कहा गया है कि प्रशासन "क्लैटन लॉकेट के मृत्यु दंड में इस्तेमाल हुए दवा और तरीके को ही फिर आजमाने की कोशिश करेगा. दवा और यह कार्रवाई पहले परखी नहीं गई है."

कैदियों ने मिडाजोलैम नाम की दवा का खास विरोध किया है. कैदियों का आरोप है कि यह दवा पूरी तरह बेहोश नहीं कर पाती है. अमेरिकी खाद्य व दवा प्रशासन ने भी इसे अकेले बेहोश करने वाली दवा के रूप में मान्यता नहीं दी है. याचिकाकर्ताओं के मुताबिक जानलेवा इंक्जेशन में कई दवाओं का मिश्रण तैयार किया जा रहा है.

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इंजेक्शन देते वक्त कैदी को इस बेड पर बांध दिया जाता है.तस्वीर: picture-alliance/dpa

अमेरिका में 1976 से अब तक 1,237 लोगों को मौत की सजा दी जा चुकी है. इनमें से ज्यादातर को जहरीला इंजेक्शन लगाया गया. आम तौर पर अमेरिकी जेलों में पहले इंजेक्शन से कैदी को बेहोश किया जाता है और फिर उसे दो और इंक्जेशन दिए जाते हैं. एक से शरीर में लकवा मार देता है और दूसरा दिल की धड़कन बंद कर देता है.

पहले ये जानलेवा दवाएं यूरोपीय कंपनियां अमेरिका भेजती थीं. बाद में यूरोपीय संघ ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया. यूरोपीय संघ मृत्यु दंड का विरोध करता है. जानलेवा रसायन बनाने वाली एक अमेरिकी दवा कंपनी ने भी 2011 इनका उत्पादन बंद कर दिया. कंपनी ने कहा कि क्रूर मौत का विरोध करती है. सामाजिक संगठनों का आरोप है कि दवा कंपनियों के इनकार के बाद जेल प्रशासन कुछ फॉर्मेसियों की मदद कैदियों पर दवाएं परख रहा है.

ओएसजे/एजेए (एएफपी)