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भारत में बढ़ती जर्मन दिलचस्पी

१८ जुलाई २०१४

भारत में रेल और आम बजट में बुलेट ट्रेन चलाने और स्मार्ट सिटी बनाने के जो एलान किए गए हैं उनमें जर्मन कंपनियां भी काफी दिलचस्पी ले रही हैं.

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Arun Jaitley
तस्वीर: picture-alliance/dpa

आम बजट पेश होने के तुरंत बाद ही जर्मन उद्योग व व्यापार जगत के तीन प्रमुख नेताओं ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ मुलाकात में खासकर स्मार्ट सिटी परियोजना में निवेश का प्रस्ताव रखा है.

स्मार्ट सिटी और बुलेट ट्रेन

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने पहले आम बजट में देशभर में 100 स्‍मार्ट सिटी बनाने का एलान किया है. इसके लिए 7600 करोड़ रुपए का प्रस्‍ताव है. देश भर में 7 इंडस्ट्रियल स्‍मार्ट सिटी बनाने की भी योजना है. स्‍मार्ट सिटी के लिए विदेशी निवेश भी आकर्षित किया जाएगा. वित्त मंत्री जेटली ने बजट पेश करते हुए कहा था कि देश में 100 नए स्मार्ट सिटी बनाने का प्लान है जबकि 100 शहरों का आधुनिकीकरण भी किया जाएगा. इसी तरह, रेल बजट में मुंबई से अहमदाबाद के बीच देश की पहली बुलेट ट्रेन चलाने का प्रस्ताव है.

मुंबई से अहमदाबाद के बीच चलाई जाने वाली यह बुलेट ट्रेन 320 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेगी और दोनों शहर की बीच का 534 किलोमीटर का सफर महज दो घंटे में पूरा किया जा सकता है. इस रूट पर भारत और जापान के एक्सपर्ट साझा तौर पर स्टडी कर रहे हैं जो अगले दस महीने में पूरी होगी. रेलमंत्री के मुताबिक, एक बुलेट ट्रेन को चलाने के लिए 60 हजार करोड़ रूपए की जरूरत है.

जर्मन दिलचस्पी

आम और रेल बजट पेश होने के बाद जर्मन उद्योग व व्यापार जगत ने स्मार्ट सिटी और रेलवे समेत विभिन्न सरकारी योजनाओं में निवेश के प्रति भारी दिलचस्पी दिखाई है. बजट पेश होने के बाद जर्मन उद्योग व व्यापार जगत की तीन प्रमुख हस्तियों ने नई दिल्ली में वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की. इनमें फेडरेशन आफ जर्मन इंडस्ट्रीज (बीडीआई) के अध्यक्ष उलरिष ग्रिलो, डॉयचे बैंक के को-सीईओ और एसोसिएशन आप जर्मन बैंक्स के अध्यक्ष युर्गेन फिचेन और एशिया-पैसिफिक कमिटी आफ जर्मन बिजनेस (एपीए) के अध्यक्ष हूबर्ट लिनहार्ड शामिल थे. बैठक में नई सरकार के सुधारों के एजेंडे और निवेश की संभावनाओं पर चर्चा हुई.

Michael Steiner
भारत में जर्मनी के राजदूत मिषाएल श्टाइनरतस्वीर: DW/A. Chatterjee

बैठक के बाद लिनहार्ड ने कहा कि व्यावसायिक रियल इस्टेट के क्षेत्र में भारत की योजनाएं काफी उत्साहजनक हैं. उन्होंने कहा, ‘जर्मनी भारत सरकार की स्मार्ट सिटी परियोजना में निवेश के लिए तैयार है. यह निवेश गैर-पारंपरिक ऊर्जा और जल प्रबंधन समेत विभिन्न तरीकों से हो सकता है.' लिनहार्ड के मुताबिक, जर्मन कंपनियां बीमा और रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए भी उत्सुक हैं. लेकिन पहले इनसे जुड़े तकनीक के हस्तांतरण के मामले को समझना होगा.

डॉयचे बैंक के को-सीईओ युर्गेन फिचेन कहते हैं, ‘भौगोलिक स्थिति की वजह से यूरोप में बीमा जैसे व्यापार का तेज विकास मुश्किल है. लेकिन भारत में इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं.' उन्होंने कहा कि एफडीआई में 49 फीसदी छूट एक अच्छी शुरूआत है. लेकिन हमें इसके और बढ़ने की उम्मीद है. बुलेट ट्रेन परियोजना में जर्मनी के संभावित निवेश का संकेत देते हुए फिचेन कहते हैं, ‘हम चलने वाली किसी भी चीज में भागीदारी के लिए तैयार हैं. वह चाहे हवा में हो या रेल की पटरियों पर.'

भारत में जर्मनी के राजदूत मिषाएल स्टाइनर कहते हैं, ‘रक्षा, बीमा और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में विदेशी निवेश का रास्ता खोलने और सुधार के 10 सूत्री एजेंडे से जर्मन कंपनियों की भारत में निवेश के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है.' स्टाइनर का कहना है कि स्मार्ट सिटी, ग्रीन टेक्नालॉजी, हाई स्पीड ट्रेन और वोकेशनल ट्रेनिंग के क्षेत्र में जर्मनी और भारत के बीच भागीदारी बढ़ने की अपार संभावनाएं हैं.

सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार

जर्मनी यूरोप में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. वर्ष 2000 से 2012 के बीच जर्मन उद्योग जगत ने भारत में 5.2 अरब अमेरिकी डालर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश किया था. देश के विभिन्न क्षेत्रों में कम से कम 16 सौ जर्मन कंपनियां काम कर रही हैं. रेल और आम बजट में निवेश की नई राहें खुलने से अब दोनों के बीच आपसी भागीदारी और मजबूत होने की उम्मीद है.

रिपोर्टः प्रभाकर, कोलकाता

संपादनः महेश झा