बैंकॉक में अफरा तफरी
आंसू गैस और पानी की बौछार
राजधानी बैंकॉक में विरोध प्रदर्शन फैलते जा रहे हैं. सेना और विरोधी गुटों की आपस में हिंसक झड़पें हुईं. माहौल तनावपूर्ण है. प्रदर्शनकारी पुलिस वालों पर चीजें फेंक रहे हैं और सुरक्षाकर्मी पानी की बौछारों और आंसू गैस का इस्तेमाल कर उन्हें काबू में करने की कोशिश कर रहे हैं.
झड़पों के शिकार
राहत कार्यकर्ता लोगों की मदद कर रहे हैं. आंसू गैस से उल्टियां हो सकती हैं और आंखें जलने लगती हैं. सेना के मददगार स्ट्रेचर से घायल प्रदर्शनकारियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. सरकार के मुताबिक अब तक चार लोग मारे जा चुके हैं. प्रदर्शन बैंकॉक शहर के पश्चिमी हिस्से में हो रहे हैं जो राजा के महल से दो किलोमीटर दूर है.
प्रधानमंत्री पर दबाव
प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री की सरकार को गिराना चाहते हैं. उनका आरोप है कि यिंगलक शिनवात्रा टैक्स से मिले राजस्व को जाया कर रही हैं. यिंगलक ने अपने भाई थकसिन की वापसी के लिए एक कानून पारित करने की कोशिश की है जिससे थकसिन वापस थाइलैंड आ सकेंगे. प्रदर्शनकारी इस पर बिफरे हुए हैं.
प्रधानमंत्री पर दबाव
प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री की सरकार को गिराना चाहते हैं. उनका आरोप है कि यिंगलक शिनवात्रा टैक्स से मिले राजस्व को जाया कर रही हैं. यिंगलक ने अपने भाई थकसिन की वापसी के लिए एक कानून पारित करने की कोशिश की है जिससे थकसिन वापस थाइलैंड आ सकेंगे. प्रदर्शनकारी इस पर बिफरे हुए हैं.
भाई की कठपुतली
आलोचकों का मानना है कि यिंगलक अपने भाई के इशारों पर चलती हैं. वह विदेश से थाइलैंड की राजनीति पर नियंत्रण रखते हैं. 2001 और 2006 के बीच थकसिन प्रधानमंत्री थे. सेना की तख्तापलट के बाद उन्हें देश से बाहर निकलना पड़ा. उन पर अपने पद का दुरुपयोग करने के आरोप हैं.
विपक्ष का अल्टीमेटम
रविवार को प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता सुथेप थौगसुबान की मुलाकात हुई. सुथेप ने मांग की है कि यिंगलक लोगों के सामने हार मान लें. वह इस मुद्दे पर और चर्चा नहीं करना चहते. एक टीवी संदेश में यिंगलक ने इस मांग को संविधान के विरुद्ध बताया.
शहर में इमरजेंसी
थाइलैंड में विरोधी प्रदर्शनकारियों ने पूरे शहर को नहीं घेरा है लेकिन फिर भी बैंकॉक के ज्यादातर विश्वविद्यालय और 30 स्कूल बंद रहे. होटल और पर्यटन उद्योग में हालात सामान्य बताए जा रहे हैं.
2010 की याद
वर्तमान प्रदर्शनों 2010 के प्रदर्शन जैसे हैं. उस वक्त हिंसक झड़पों में 90 लोग मारे गए थे. उस वक्त सेना ने थकसिन शिनवात्रा के समर्थकों ने प्रधानमंत्री अभिसीत वेजाजीवा की सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए थे.