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फेसबुक ने गलती मानी

३ जुलाई २०१४

दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक ने माना है कि उसने दो साल पहले भावनात्मक स्तर पर यूजरों की प्रतिक्रिया जानने के लिए जो कदम उठाया था, उसका बुरा असर हुआ. फेसबुक की सीओओ शेरिल सैंडबर्ग ने यह बात कही.

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तस्वीर: Reuters

कंपनी ने करीब सात लाख यूजरों के कंटेट के साथ लगभग एक हफ्ते तक छेड़छाड़ की थी. उन्हें सिलसिलेवार तरीके से कुछ दुखद और फिर सुखद फीड दिए गए ताकि उनकी प्रतिक्रिया को आंका जा सके. पिछले महीने यह रिसर्च प्रकाशित हुई, जिसके बाद ऑनलाइन पर लोगों का गुस्सा भड़क उठा. इसमें प्रयोग के तरीकों पर भी सवाल उठाए गए.

सैंडबर्ग ने नई दिल्ली में कहा कि यह एक प्रोडक्ट टेस्टिंग प्रयोग था. जब उनसे इस मामले की नैतिकता पर पूछा गया, तो उन्होंने कहा, "हमने लोगों को इस बारे में अच्छे से नहीं बताया. हम फेसबुक पर निजता के मामले को बहुत गंभीरता से लेते हैं." सैंडबर्ग महिला समानता पर लिखी गई किताब "लीन इन" के प्रचार प्रसार के लिए भारत में थीं. उन्होंने इस विवाद पर और सवाल पूछे जाने पर जवाब देने से इनकार कर दिया.

इस बीच यूरोप के कई डाटा प्रोटेक्टर इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या कहीं फेसबुक ने निजता के कानून का हनन तो नहीं किया. अधिकारियों ने बताया है कि ब्रिटिश अधिकारी इस मामले पर फेसबुक से जवाब तलब कर सकते हैं.

कॉरनेल यूनिवर्सिटी, सैन फ्रांसिस्को की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी और फेसबुक ने मिल कर यह अध्ययन किया, जो 17 जून को सामने आया. इस अध्ययन में फेसबुक ने सुखद और दुखद पोस्टों को यूजरों की वॉल पर डाला. यह काम यूजरों को जानकारी दिए बगैर किया गया. रिसर्चरों ने पाया कि फेसबुक पर दूसरों के भावनात्मक पोस्ट से यूजरों की भावनाएं भी प्रभावित होती हैं.

आलोचकों का कहना है रिसर्च के दौरान नैतिकता का पालन किया जाना चाहिए. फेसबुक के एक अरब से ज्यादा यूजर हैं और खतरा इस बात का है कि इसके प्रभाव से जनमानस का मूड अच्छा या बुरा किया जा सकता है. हालांकि फेसबुक ने बाद में कहा कि रिसर्च फेसबुक के डाटा सुरक्षा शर्त के मुताबिक ही किया गया.

एजेए/एएम (एएफपी)