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प्रीति के साहस के लिए समर्थन: विद्या

५ जुलाई २०१४

छोटे परदे पर हम पांच के जरिए अपने करियर की शुरूआत करने वाली अभिनेत्री विद्या बालन अब नामी कलाकार हैं. वे कहती हैं कि अपनी परेशानी को सार्वजनिक करने का साहस दिखाने के कारण उन्होंने प्रीति जिंटा का समर्थन किया है.

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Vidya Balan
तस्वीर: DW

विद्या बालन कहती हैं कि जीवन और करियर के प्रति मेरा नजरिया दूसरों से अलग है. इसलिए वह हमेशा अलग-अलग किरदार तलाशती रहती हैं. पा से कहानी तक लगातार पांच हिट फिल्में देने वाली विद्या ने अपनी ताजा फिल्म बॉबी जासूस में एक महिला जासूस का किरदार निभाया है. उसके प्रमोशन के सिलसिले में पूरे देश में घूम रहीं इस अभिनेत्री ने अपने करियर और अभिनेत्री प्रीति जिंटा को समर्थन के बारे में डॉयचे वेले के साथ बातचीत की. पेश हैं उसके प्रमुख अंश:

पांच साल पहले आई पा और इश्किया के बाद आपके करियर का ग्राफ तेजी से ऊपर चढ़ा है. करियर के इस दौर को कैसे देखती हैं?

पिछले पांच वर्षों ने मुझे बेहतर मौके, बाक्स आफिस पर कामयाबी, नाम, अवार्ड और प्रशंसा आदि बहुत कुछ दिया है. इस दौरान अभिनय तो निखरा ही है, फिल्मों के चयन की क्षमता भी बेहतर हुई है. मैं किसी भी फिल्म की पटकथा को बेहद ध्यान से पढ़ने के बाद ही उस पर फैसला करती हूं. मैं पीछे मुड़ कर नहीं देखती. इस दौर ने एक बेहतर भविष्य की राह खोल दी है.

इस दौर की आपकी सबसे पसंदीदा फिल्म?

मुझे इश्किया और कहानी अपने दिल के बेहद करीब लगती है. उससे पहले मुझे काफी आलोचना भी झेलनी पड़ी थी. लेकिन इन फिल्मों ने मुझमें एक नया आत्मविश्वास पैदा कर दिया. इश्किया में नसीरुद्दीन शाह और अरशद वारसी जैसे कलाकारों के साथ काम करने के बाद मैंने ठान लिया कि अब भावनाओं में बहने की बजाय अपने दिल की सुनूंगी.

लगातार पांच हिट फिल्में देने के बाद क्या बेहतर प्रदर्शन का दबाव बढ़ गया है?

दर्शकों की उम्मीदों का कुछ दबाव तो होता ही है. लेकिन मैं किसी फिल्म के बाक्स आफिस प्रदर्शन का अपने अभिनय पर कोई असर नहीं पड़ने देती. मैं हर फिल्म में अपना सर्वश्रेष्ठ अभिनय करने का प्रयास करती हूं. उसके बाद फिल्म का हिट या फ्लाप होना तो दर्शकों पर निर्भर है. इसमें फिल्म के कलाकारों की कोई भूमिका नहीं होती.

क्या हिंदी फिल्मोद्योग अब भी पुरुष-प्रधान है?

यह बात सौ फीसदी सही है. तमाम बदलावों के बावजूद अब भी यहां पुरुष-प्रधान फिल्मों का ही बोलबाला है.

फिल्मों में हीरो और हीरोइनों को मिलने वाले पैसों में पहले भारी अंतर था. क्या अब स्थिति कुछ बदली है?

अब अभिनेत्रियों की फीस भी बढ़ी है. लेकिन अभिनेताओं से तुलना करें तो अब भी काफी अंतर है. किसी भी फिल्म की कामयाबी में अभिनेत्रियों की भी अहम भूमिका होती है. इसलिए उनको भी बेहतर पैसे मिलने चाहिए. यह तो हमारा हक है.

अभिनेत्री प्रीति जिंटा-नेस वाडिया विवाद में फिल्मोद्योग की चुप्पी क्या आपको नहीं खलती?

मेरी राय में शायद दोनों के बीच की स्थिति की सही जानकारी नहीं होने की वजह से ही ज्यादातर लोगों ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है. मुझे लगा कि प्रीति ने अपनी परेशानी को सार्वजनिक कर साहस का परिचय दिया. इसलिए मैंने उनका समर्थन किया था.

लगभग हर फिल्म में अलग-अलग किरदार निभाने की कोई खास वजह?

किसी भी चीज से मैं जल्दी ही ऊब जाती हूं. इसलिए हमेशा नए किरदारों की तलाश में रहती हूं. इस उद्योग में सात साल बिताने के बाद अब मुझे अलग-अलग किस्म की फिल्में और किरदार भी मिल रहे हैं. पा और इश्किया के बाद यह बदलाव आया है. मैं तमाम ऑफरों में सबसे बेहतर को चुनने का प्रयास करती हूं.

बाबी जासूस में महिला जासूस का किरदार निभाना कितना चुनौतीपूर्ण था?

यह चुनौतीपूर्ण तो था ही. लेकिन इसे निभा कर काफी संतुषिट भी मिली. मैंने पहले कभी ऐसा किरदार नहीं निभाया था. इसके लिए मुझे कई बार अलग-अलग वेश बदलना पड़ा. मैंने अब तक जितने किरदार निभाएं हैं उनमें से यह सबसे रोमाचंक है. इसकी पटकथा भी काफी बेहतर है.

इतनी कामयाबी और प्रशंसा के बावजूद आपको अब तक किसी खान के साथ काम करने का मौका नहीं मिला. इसका कोई अफसोस?

मेरे लिए किसी स्टार की बजाय फिल्म की पटकथा ज्यादा अहम है. मैंने करियर में कभी योजना बना कर काम नहीं किया. किसी फिल्म को लेते समय मैं सिर्फ उसकी पटकथा पर ध्यान देती हूं. यह नहीं सोचती कि उसमें हीरो नया है या कोई स्टार. दरअसल, जीवन और करियर के प्रति मेरा नजरिया दूसरों से अलग है. मैं अपने काम से काफी खुश और संतुष्ट हूं.

भावी योजना ?

अब महेश भट्ट कैंप की फिल्म हमारी अधूरी कहानी में काम कर रही हूं. उसकी शूटिंग सितंबर में शुरू होगी. मोहित सूरी के निर्देशन में बनने वाली इस पिल्म में इमरान हाशमी और राजकुमार राव भी काम कर रहे हैं. मैं इस फिल्म को लेकर काफी रोमांचित हूं.

इंटरव्यू: प्रभाकर, कोलकाता

संपादन: महेश झा