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प्यार का जश्न मना अनंत में विलीन यश

२२ अक्टूबर २०१२

भारत को प्यार करने की सबसे शानदार अदा सबसे जानदार तरीके से यश चोपड़ा ने सिखाई. एक दिन पहले हिंदी फिल्मों के प्यार का सबसे बड़ा चितेरा दुनिया को अलविदा कह गया है.

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तस्वीर: Getty Images

हिंदी फिल्मों में प्यार तो बहुत पहले से था लेकिन प्यार के जश्न का यश राज तरीका उसे पूरी दुनिया में मशहूर कर गया. चमचमाते चेहरे, खूबसूरत नजारे और रंगीन लिबासों में दमकते प्यार ने लोगों के दिल में ऐसी जगह बनाई कि बॉलीवुड के फिल्मकारों की कई पीढ़ियों को एक पूरी जमीन मिल गई कहानियां बुनने और उन्हें सजाने की.

यह कमाल यश चोपड़ा का है जिन्होंने जिंदगी की तमाम मुश्किलों से जूझते भारत के लोगों को प्यार का सब्जबाग दिखाया और उसके आगे वो सब कुछ भूल गए. उन्हें याद ही नहीं रहा कि रंगीन नजारों में गाना गाते और उछल कूद करते चिकने चेहरे वाले नायक नायिकाओं को रोजी रोटी की चिंता नहीं करनी होती. फिल्म देखने के बाद युवा, किरदारों से खुद को जोड़ते और प्रेम के नए नए तरीके सीखते. ऐसे न जाने कितने लोग मिलेंगे जिन्हें प्यार करने की जरूरत यश चोपड़ा की फिल्में देखने के बाद महसूस हुई. फिल्मों में ही नहीं असल जिंदगी में भी यश चोपड़ा की फिल्मों जैसा प्यार खूब मशहूर है.

Indien Yash Chopra Regisseur Produzent Bollywood
तस्वीर: AP

ऐसा नहीं कि यश चोपड़ा ने सिर्फ सपनों की दुनिया में ही उड़ान भरी उनकी पहली फिल्म धूल का फूल तो विशुद्ध सामाजिक ताने बाने पर बनी थी और अमिताभ की एंग्री यंगमैन छवि को पर्दे पर पुष्ट करने वाली दीवार के सामाजिक सरोकारों को कौन भूल सकता है. इसके साथ ही उनकी बनाई वक्त पहली ऐसी फिल्म थी जिसमें कई बड़े सितारे एक साथ पर्दे पर उतरे. इस फिल्म ने ना सिर्फ मल्टी स्टारर फिल्मों का दौर शुरू किया बल्कि बिछड़े भाई बहनों या मां बाप की कहानियों का सिलसला भी यहीं से शुरू हुआ. हां यह बात और है कि प्यार के जश्न ने उन्हें जितना मशहूर किया उतना किसी और चीज ने नहीं. इसी प्यार के दम पर वो बार बार हिंदी फिल्मों की धारा तय करते रहे.

अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान इन दो दिग्गजों के साथ उनकी जोड़ी ने न सिर्फ जबर्दस्त हिट फिल्में दी बल्कि बॉलीवुड में किन फिल्मों को दौर रहेगा यह भी तय कर दिया एक नहीं कई कई बार. यश चोपड़ा ने पहले तो अमिताभ को एंग्री यंगमैन के रूप में स्थापित किया. फिर सिलसिला और कभी कभी के साथ लवर ब्वॉय बनाया.

Regisseur Yash Chopra
तस्वीर: AP

इसी तरह शाहरुख खान अभिनेता के रूप में डर का राज बनने के बाद ही अपने पांव जमा पाए. इस फिल्म के ग्रे किरदार के जरिए यश चोपड़ा ने उनकी अदाकारी को खूब निखारा. उसके बाद तो दिल तो पागल है, वीर जारा जैसी फिल्मों के साथ प्रेमी शाहरुख लोगों के दिलों में अपना घर बनाता चला गया. यश चोपड़ा ने शाहरुख का हाथ पकड़ने के बाद सिर्फ उन्हीं के साथ फिल्म बनाई है. दिल तो पागल हैं फिल्म जर्मनी के बाडेन बाडेन और यूरोपा पार्क में शूट की गई थी. इस फिल्म के साथ ही हिंदी फिल्मों ने जर्मनी में पांव रखे. इसके बाद तो शाररुख का और हिंदी फिल्मों की जलवा जर्मनी के सिर भी चढ़ कर भी खूब बोला.

बचपन से ही हिंदी फिल्में देखने का भूत यश चोपड़ा के सिर ऐसा सवार हआ कि महज 19 साल की उम्र में करियर बनाने फिल्मी दुनिया में पहुंचे यश चोपड़ा ने 80 साल की उम्र में भी फिल्मों से रिश्ता नहीं तोड़ा. पहले असिस्टेंट डायरेक्टर, फिर डायरेक्टर और फिर उसके बाद प्रोड्यूसर. 1959 में बतौर निर्देशक उनकी पहली फिल्म आई थी और अब 2012 में आखिरी फिल्म. निर्देशक के तौर पर उनके खाते में महज 22 फिल्में हैं लेकिन इतने भर से ही उन्होंने हिंदी फिल्मों के बार बार प्यार के मुद्दे पर लौट आने के लिए विवश किया. जब जब हिंदी फिल्मों से प्यार कम होता वो उसे वापस खींच लाते.

आखिरी फिल्म अगले महीने की 13 तारीख को दिवाली के मौके पर रिलीज होने है और इसके बाद उन्होंने फिल्मों से रिटायर होने का एलान किया था लेकिन उससे पहले ही सांसों ने साथ छोड़ दिया. यश का फिल्मों से रिटायर होना शायद उन्हें भी कबूल नहीं था. आखिरी फिल्म से वह साबित कर गए हैं, जब तक है जान...

रिपोर्टः निखिल रंजन

संपादनः आभा मोंढे

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