पूर्व नेपाली पीएम कोइराला का निधन
२१ मार्च २०१०नेपाल टीवी के मुताबिक कोइराला लंबे समय से बीमार चल रहे थे और काठमांडू में अपनी बेटी के घर पर उन्होंने अंतिम सांस ली. कोइराला चार बार नेपाल के प्रधानमंत्री रहे. खासकर माओवादी विद्रोहियों के साथ शांति समझौते की ख़ातिर उन्होंने अपना राजनीतिक करियर दांव पर लगाया. माओवादियों ने लगभग दस साल तक राष्ट्र के ख़िलाफ़ हथियार बंद मुहिम चलाई. बताया जाता है कि इस संघर्ष में 16 हज़ार लोगों की जानें गईं जबकि हजारों का अतापता ही नहीं है.
चश्मदीदों का कहना है कि हज़ारों लोग कोइराला की बेटी के घर पर अपने प्रिय नेता को श्रद्धांजलि देने के लिए जमा हैं. गिरिजा प्रसाद कोइराला उस राजनीतिक परिवार के सदस्य थे जिसे नेपाल में लोकतंत्र क़ायम करने का श्रेय दिया जाता है.
कोइराला ने मुश्किल समय में देश की बागडोर संभाली. 2001 में शाही नरसंहार के समय भी वही देश के प्रधानमंत्री थे. कोइराला हमेशा देश की एकजुटता के लिए प्रयासरत रहे, खासकर ऐसे देश में जिसने बीस साल में 18 सरकारें देखी.
दूसरे नेपाली राजनेताओं की तरह उन पर भी कई बार भ्रष्टाचार के आरोप लगे. लेकिन कोइराला ने 2006 में उस वक़्त बड़ा क़दम उठाया जब माओवादी विद्रोही का साथ देकर उन्होंने नरेश ज्ञानेंद्र को अपनी तानाशाही शक्तियां छोड़ने के लिए मजबूर किया.
भारत ने कोइराला के निधन पर गहरा दुख जताया है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कोइराला को नेपाल का सबसे बड़ा नेता और दक्षिण एशिया का एक बड़ा राजनेता बताया है. उन्होंने कहा कि कोइराला ने दोनों देशों के लोगों को नजदीक लाने में अहम योगदान दिया. रविवार को काठमांडू में उनका अंतिम संस्कार होगा. भारत की तरफ़ से विदेश मंत्री एसएम कृष्णा कोइराला के अंतिम संस्कार में शामिल होंगे.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार