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परमाणु टेस्ट से बीमार लोगों को कागज पर राहत

२ अगस्त २०११

यूरोपीय देशों ने एशिया और अफ्रीका के कई देशों पर सालों तक राज किया. उस समय उन्होंने लोगों का शोषण भी किया और देशों को अपनी प्रयोगशाला भी बना लिया. फ्रांस ने ऐसे परमाणु परीक्षण किए जिनका खामियाजा लोग आज तक भुगत रहे हैं.

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फ्रांस का पोलिनेशिया, बोरा बोरा द्वीपतस्वीर: picture-alliance/ dpa

1960 से 1996 के बीच फ्रांस ने कुल 210 परमाणु परीक्षण किए. पूर्वी सोवियत संघ ने 718 और अमेरिका ने 1,039. फ्रांस के परमाणु परीक्षण शुरुआत में उसकी कॉलोनी अल्जीरिया में किए गए. इसके बाद के परीक्षण समुद्र पार फ्रांस के इलाके पोलिनेशिया में किए गए. इसमें डेढ़ लाख लोगों ने भागीदारी की थी, जिसमें सैनिक भी थे और आम जनता भी. उस समय हुए परमाणु परीक्षण में शामिल लोगों में से अब भी करीब पांच हजार जिंदा हैं और इनमें से 35 फीसदी कैंसर से जूझ रहे हैं.

कागजी कानून

दो संगठनों की अथक लड़ाई के बाद जून 2010 में फ्रांस में परमाणु परीक्षण से बीमार लोगों के लिए मुआवजे संबंधी कानून लागू हुआ. इस कानून के साथ तात्कालीन रक्षा मंत्री एर्वे मारां फ्रांस के परमाणु परीक्षण के नतीजों के बारे में सालों से चली आ रही बहस को खत्म करना चाहते थे. उन्होंने उदारता और अच्छे मुआवजे का वादा किया लेकिन अब तक के हालात दिखाते हैं कि अधिकतर पीड़ित को किसी का सहारा नहीं है.

The command base for nuclear testing at the Mururoa Atoll in French Polynesia. Defying international protests, France set off an underground nuclear blast Tuesday on the remote atoll in the South Pacific, beginning a series that it says will include up to eight nuclear tests.(AP Photo/Francois Mori) Südsee, Umweltverschmutzung, Atom, Atoll, Atomwaffen, Politik, Militär, Umwelt, Waffen, Kernwaffen, Frankreich, Französisch Polynesien
मुरुरोआ में परमाणु परीक्षण के लिए बनी जगहतस्वीर: AP

साल भर बाद

जून 2010 में कानून बनने के बाद पहला मुआवजा ठीक एक साल बाद जून 2011 में स्वीकृत किया गया. सरकारी आयोग ने पूर्व सैनिक से बात की जो परमाणु टेस्ट के बाद से त्वचा के कैंसर से पीड़ित है. वे अपनी पहचान नहीं बताना चाहते. बहरहाल उन्हें कई हजार यूरो का मुआवजा दिया गया. यह फैसला सांकेतिक लगता है. वह सैनिक के तौर पर 1960 में फ्रांस के पहले परमाणु परीक्षण के दौरान अफ्रीका के सहारा में थे. उन्हें परीक्षण देखने के लिए पहली लाइन में तैनात किया गया था. वे विस्फोट की जगह से कुछ ही किलोमीटर दूर थे. वे बताते हैं, "उस समय हमने सफेद सुरक्षा कवच पहने थे. ये कपड़े हल्के तारपोलीन के बने थे. साथ ही दस्ताने और एक मास्क था. ये दूसरे विश्व युद्ध के सामान से बचे हुए थे."

और कुछ नहीं

इस मुआवजे के बाद 11 और लोगों को मुआवजा दिया गया. लेकिन सरकारी आयोग ने आर्थिक सहायता के बाद और कोई सहायता देने से साफ इनकार कर दिया. अब 500 लोगों के आवेदन स्वीकार नहीं होने की आशंका है. समाजवादी पार्टी के जां पाट्रिक गिले भी मुआवजे के कानून से हताश हैं. उन्होंने संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर कहा, "यह कानून आप लोगों के लिए बनाया गया है, प्रेस के लिए. ताकि इसे बनाने वाले रक्षा मंत्री कह सकें, देखिए मैंने इस मुद्दे को आगे बढ़ाया है. लेकिन हम शुरू से ही देख सकते हैं कि इस कानून का इस्तेमाल कितना रुक रुक कर किया जा रहा है. अब तक इस कानून से एक ही बात पूरी हो सकी है कि अधिकतर लोग मुआवजा दाना के हक में हैं, लेकिन वह प्रणाली में अटक कर रह गया है."

Logo des Vereins AVEN
AVEN संस्था का लोगो

वकील जां पॉल टेसोनियेर फ्रांस के परमाणु परीक्षण से पीड़ित लोगों के मामले देख रहे हैं. वह अस्वीकृत मुआवजों वाले मामलों को अदालत में ले जाना चाहते हैं. वैसे तो इस कानून में प्रावधान है कि जो विवादास्पद मामले हैं उन पर एक अन्य आयोग सुनवाई करे लेकिन इस आयोग के बनने पर साल भर से विवाद है.

अभियान जारी

पैरिस में भी इस कानून में सुधार और बेहतरी के लिए अभियान शुरू हुए हैं. वहीं पोलिनेशिया के नेता रिचर्ड तुहेइयावा एक नया कानून चाहते हैं जो पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई करे. क्योंकि मुआवजे में इसे शामिल नहीं किया गया है और उनके मुताबिक कानून का दायरा बहुत ही सीमित है. विकिरण से होने वाली कुछ बीमारियों के लिए मुआवजा तो दिया जाएगा, लेकिन तय समय और स्थान की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए. इसलिए उस समय परमाणु परीक्षण के दौरान अल्जीरिया और पोलिनेशिया में काम करने वाले स्थानीय लोगों के लिए मुआवजे के लिए कागजी कार्रवाई करना मुश्किल होगा.

Atomtest im Fantagaufa Atoll
फांटागौफा में परमाणु परीक्षणतस्वीर: AP

सुनामी का खतरा

छह महीने पहले फ्रांस के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी पोलिनेशिनया पहुंचे. उन्होंने माना कि समुद्र के बीच द्वीप पर परमाणु परीक्षण किए जाने से सुनामी आ सकती है. फ्रांस की सरकार ने मांग की है कि परमाणु परीक्षण के सभी नतीजों की रिपोर्ट दी जाए. रिचर्ड तुहेइयावा कहते हैं कि इस बिल का प्रारुप पोलिनेशिया में परमाणु पीड़ितों की संस्था से बातचीत करने के बाद ही बनाया गया है. हालांकि पर्यावरण की क्षतिपूर्ति करने वाले कानून का रास्ता लंबा और मुश्किल हो सकता है. उधर एवेन संस्था लगातार लोगों को अपने काम और पीड़ितों के बारे में जागरुक कर रही है. एवेन के अध्यक्ष जां लुक सां को पूरा विश्वास है कि फ्रांसीसी सरकार लंबे समय तक अपने इस उत्तरदायित्व से दूर नहीं भाग सकती. उनका कहना है कि सरकार को लगता होगा कि यह मुश्किल अपने आप दूर हो जाएगी क्योंकि पीड़ितों की लगातार मृत्यु हो रही है. लेकिन अब उन्हें यह समझना होगा कि हमारी संस्था में इन पीड़ितों के बच्चे भी सक्रिय हैं, जो अपने माता पिता के अधिकारों के लिए लगातार लड़ रहे हैं.

रिपोर्टः डॉयचे वेले/आभा एम

संपादनः ईशा भाटिया

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