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दूसरा जीवन है ग्वांतानामो से छुटकारा

११ जनवरी २०१२

अमेरिकी फौज अफगानिस्तान से हाजी शहजादा को पकड़ कर ले गई. पहली हवाई यात्रा ने सीधे क्यूबा के ग्वांतानामो जेल पहुंचा दिया. 10 साल बाद वे घर लौट आए हैं पर अमेरिका उनका पक्का दुश्मन बन चुका है, जिसे वे सबक सिखाना चाहते हैं.

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तस्वीर: AP

करीब 50 साल के हो चुके शहजादा पथराई आंखों से अपने खेत को देखते हैं. उनकी आंखों की तरह खेत भी सूख गए हैं. वे खुद को बेकसूर बताते हैं और पकड़ने वाले उन्हें मुजरिम साबित नहीं कर पाए. शहजादा पर जो बीत रही है, समझना आसान है, "मुझे एक चिट्ठी दे दी गई है कि मैं बेकसूर हूं. अब मैं इस चिट्ठी का क्या करूंगा, जबकि मैं पहले ही चार साल तक जेल में रह चुका हूं."

कंधार के शहजादा बताते हैं, "वे मेरे घर में घुसे. मुझे मेरे रिश्तेदारों और बच्चों के सामने हथकड़ी पहना दी. अगर मैं सत्ता में आया तो अमेरिका से बदला लूंगा. उन्हें सजा दूंगा. वे अच्छे लोग नहीं हैं. वे हमारे दोस्त नहीं हो सकते हैं. उन्हें हमारा देश छोड़ना होगा." शहजादा का कहना है कि उसे तालिबान नेता मुल्ला खैरुल्लाह बता कर ग्वांतानामो ले जाया गया. उनका कहना है, "उन्होंने पांच या छह लोगों को मुल्ला खैरुल्लाह के नाम पर पकड़ा है."

Salim Hamdan
बिन लादेन का ड्राइवर रह चुका सलीम हमदानतस्वीर: AP

दास्तां से झुरझुरी

शहजाद ग्वांतानामो के बारे में जो बताते हैं, सुन कर झुरझुरी पैदा हो जाती है. उन्हें दूसरे कैदियों के सामने नंगा कर दिया जाता और सबको एक साथ टॉयलेट इस्तेमाल करने को कहा जाता. इस्लाम और अफगान संस्कृतियों में ऐसी चीजें वर्जित हैं. शहजादा का कहना है, "मुझे तो ताज्जुब है कि शर्म से मैं मर नहीं गया. पश्तून होकर भी मैं इतना कमजोर कैसे रहा." शहजादा का दावा है कि उनका तालिबान से कोई लेना देना नहीं है.

अफगान लेखक वहीद मुजदा का कहना है कि ग्वांतानामो की बंद कोठरी में जो जुल्मो सितम किए जा रहे हैं, उससे अफगानिस्तान में अमेरिका विरोधी भावनाएं बहुत भड़की हैं. उनका कहना है, "कई लोगों का तालिबान से रिश्ता नहीं था, फिर भी उन्हें पकड़ कर वहां डाल दिया गया. मैं जाती तौर पर जानता हूं कि वहां से रिलीज होने के बाद कई लोग तालिबान में शामिल हो गए."

गैरकानूनी जेल

दस साल पहले अफगानिस्तान और इराक के खतरनाक कैदियों को रखने के लिए अमेरिका ने क्यूबा की धरती पर ग्वांतानामो बे जेल तैयार किया. यह गैरकानूनी जेल है, जो अमेरिकी धरती से सैकड़ों किलोमीटर दूर है. यहां जेनेवा संधि का पालन नहीं होता क्योंकि अमेरिका का दावा है कि जेनेवा संधि में सिर्फ दुश्मन टुकड़ी के सैनिक आते हैं और ग्वांतानामो बे की जेल में आतंकवादियों को रखा गया है. इस जेल में किसी देश का कानून नहीं चलता और कैदियों पर बेइम्तिहां जुल्म ढाने की कहानियां आती रहती हैं. कुछ हिस्सों में तो कैदियों के पैर जमीन में गड़ी कुंडियों से बेड़ियों के सहारे बांध दिया जाता है और उन्हें कई कई दिन वैसे ही पड़ा रहना पड़ता है. उन्हें टॉयलेट भी नहीं जाने दिया जाता और सब कुछ वहीं करना पड़ता है.

Binyam Mohamed Ex-Guantanamo Häftling
ग्वांतानामो से छूटा बिनयान मोहम्मदतस्वीर: AP

9/11 के आतंकवादी हमले के मुख्य आरोपी खालिद शेख मोहम्मद के अलावा उसके सहयोगियों रामजी बिन अल शिबह, मुस्तफा अहमद अल हवसावी, अली अब्दुल अजीज और वलीद बिन अतश को खूंखार आतंकवादी बता कर ग्वांतानामो की जेल में रखा गया है. सबसे खराब हालत उन कैदियों की है, जिन्हें बिना आरोप के अनिश्चितकाल के लिए कैद रखा गया है. पिछले सालों में सिर्फ कुछ लोगों को ही छोड़ा गया है, लेकिन तब जब दूसरे देश उन्हें शरण देने को राजी हुए. जर्मनी ने भी दो पूर्व बंदियों को शरण दी है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश का दावा था कि इन कैदियों को छोड़ दिया गया और किसी दूसरी जगह भेज दिया गया तो ये अमेरिका के लिए खतरा साबित हो सकते हैं. सिर्फ इस शक के बिना पर इन्हें अनिश्चितकाल के लिए कैद रखा गया है और ओबामा प्रशासन भी उनकी कैद जारी रखने के लिए राजी हो गया है.

यह कैसा इंसाफ

अमेरिका में नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाली हिना शम्सी इस बात से खासी नाराज हैं. उनका कहना है, "अगर हम इस बात को स्वीकार कर लें कि पूरा विश्व हमारी युद्धभूमि है और अपने देश को सुरक्षित रखने के लिए हमें उन लोगों को गिरफ्तार करने का अधिकार है, जो हमारे लिए कभी खतरा बन सकते हैं, चाहे उन्होंने कभी कानून का उल्लंघन न भी किया हो. तब तो समझ में ही नहीं आता कि सुरक्षा के नाम पर सरकार किन लोगों को पकड़ लेगी."

David Hicks
ग्वांतानामो से छूटा डेविड हिक्सतस्वीर: AP

ग्वांतानामो में 775 कैदियों को लाया जा चुका है लेकिन इनमें से ज्यादातर के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया गया और उन्हें छोड़ देना पड़ा. इस वक्त ग्वांतानामो की जेल में 171 कैदी हैं. इस जेल से सबसे पहले 2004 में तीन बच्चों को रिहा किया गया, जिनकी उम्र 13 से 15 साल के बीच थी. उसके बाद कुछ अफगान नागरिकों को छोड़ा गया, जिन पर कोई आरोप नहीं साबित हुआ. यहां अभी ज्यादातर यमन, पाकिस्तान, सऊदी अरब और मिस्र जैसे देशों के लोगों को रखा गया है. जहां तक मुकदमे का सवाल है, गिनती के कुछ लोगों पर केस चल पाया है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसी संस्थाएं आए दिन ग्वांतानामो जेल के खिलाफ आवाज उठाती रहती हैं, जो नक्कारखाने में तूती साबित होती है.

रिपोर्टः एएफपी/ए जमाल

संपादनः महेश झा

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