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कैसे बचाएं मोबाइल

६ नवम्बर २०१३

हैकरों के ये बाएं हाथ का खेल और उनके लिए बहुत संभावनाएं भी मौजूद हैं. वे आसानी से किसी भी व्यक्ति के एसएमएस, फोन, इंटरनेट की जासूसी कर सकते हैं. बिना सिक्योरिटी के आसानी से और बिना पता लगे हैकिंग का शिकार हो सकते हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

इस खतरे का पता तो बहुत पहले से है और जब मामला निजी जानकारियों की सुरक्षा का हो तो स्मार्ट फोन से खतरा काफी ज्यादा है. हालांकि लगता है कि लोगों और सरकार को इस मुद्दे पर जागरूक होने के लिए एक एनएसए जासूसी स्कैंडल की जरूरत थी ताकि इस मुद्दे पर गंभीरता से सोचा जाए. स्मार्टफोन में कितनी सुरक्षित होती है निजी जानकारी?

ऑनलाइन पोर्टल हॉट सिक्योरिटी के मुख्य संपादक युर्गेन श्मिट ने डीडबल्यू से बातचीत में कहा, "कई साल से यह पता है कि हमारा मोबाइल फोन नेट सुरक्षा के लिहाज से एकदम बेकार है और इसका बहुत व्यापक इस्तेमाल पुलिस और खुफिया एजेंसियां करती रही हैं. इस बारे में कभी किसी ने शोर नहीं मचाया."

जासूसी प्रकरण के बाद कम से कम यह तो समझ में आया कि बहुत से लोग हैं, जो डाटा सुरक्षा के लिए कुछ करना चाहते हैं. मार्केट में मोबाइल सिक्योरिटी के कई ऐप उपलब्ध हैं. मांग ओपन सोर्स प्रिंसिपल पर काम करने वाले मोबाइल ऐप की है. इसका मतलब है कि अगर उपभोक्ता चाहे तो वह खुद एक खास को़ड देख सके. सही सुरक्षा लेकिन तभी हो सकती है जब ये कोड खुद डिजाइन किया जा सके.

ऐसे कई फ्री प्रोग्राम हैं जो ओपन सोर्स प्रिंसिपल पर काम करते हैं लेकिन जासूसी प्रभावशाली ढंग से रोक सकते हैं. एसएमएस और एमएमएस को सुरक्षित करने के लिए एक ओर टेक्स्ट सिक्योर जैसा प्रोग्राम है तो दूसरी ओर व्हॉट्स ऐप की बजाए चैट सिक्योर जैसा ऐप जो डाटा की जासूसी को बचा सकता है. जहां एक ओर रियल टाइम वॉयस इन्क्रिप्शन अभी भी शुरुआती दौर में ही है, वहीं दूसरी ओर ईमेल के लिए के9 और एपीजी जैसे प्रोग्राम हैं. ये अनचाहे पाठकों को दूर रखते हैं.

Symbolbild NSA Überwachung Handy
तस्वीर: imago/avanti

आखिर में उपभोक्ता को खुद से ही सवाल पूछना होगा कि वह कितनी निजी जानकारी बाहर देना चाहते हैं. उदाहरण के लिए गूगल मेल सिर्फ मेल से कहीं ज्यादा है. वहां मार्केट सर्वे के लिए अक्सर ईमेल देखी जाती हैं, चाहे गूगल मेल हो, फेसबुक या फिर व्हॉट्स ऐप, अधिकतर कार्यक्रम इस तरीके से बनाए जाते हैं कि उन्हें दूसरा भी कोई पढ़ सके. ये नियम और शर्तों में शामिल होता है.

एंड्रॉयड टेलीफोन के ऐप में डाउनलोड से पहले एक टिप मिलती है. उससे तय किया जा सकता है कि आप वो ऐप डाउनलोड करना चाहते हैं या नहीं. जो लोग अपने निजी डेटा के बारे में संवेदनशील हैं, उन्हें सबसे पहले शर्तें और नियम अच्छे पढ़ने चाहिए ताकि हैकिंग या जासूसी से बचा जा सके.

रिपोर्टः आंद्रेयास ग्रिगो/आभा मोंढे

संपादनः एन रंजन

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