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'जासूसी कुछ ज्यादा ही हो गई'

१ नवम्बर २०१३

जासूसी विवाद सामने आने के बाद पहली बार अमेरिका ने माना है कि कुछ मामलों में उसकी खुफिया एजेंसी हदें पार कर गई. अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने भरोसा दिलाया है कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा.

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तस्वीर: Reuters

अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी (एनएसए) पर 34 देशों के शीर्ष नेताओं की जासूसी करने के आरोपों के 10 दिन बाद जॉन केरी ने कहा, "राष्ट्रपति की तरह मैं भी मानता हूं कि कुछ मामलों में ये कार्रवाइयां बहुत आगे निकल गईं और हम इस बात को पक्का करने में जुटे हैं कि भविष्य में ऐसा न हो."

एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लंदन में हो रहे सम्मेलन को संबोधित करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, "मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि इन कार्रवाइयों के दौरान बेगुनाह लोगों को परेशान नहीं किया गया, लेकिन जानकारी जुटाने की कोशिशें की गईं. और हां, कुछ मामलों में ये गलत ढंग से बहुत आगे चली गईं."

हालांकि इस दौरान ओबामा प्रशासन के सबसे वरिष्ठ नेता केरी ने जासूसी की जरूरत को सही भी ठहराया. अमेरिका पर हुए 11 सितंबर 2001 के हमलों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आतंकवाद के निशाने पर लंदन, मैड्रिड और दूसरे शहर भी रहे. ऐसे में आतंकवादियों को रोकने के लिए जासूसी का फैला हुआ तंत्र जरूरी है. केरी के मुताबिक आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका और कई देश साथ आए, "दुनिया में चरमपंथ नर्क की ओर झुका है. ये लोगों को मारने, उड़ाने पर तुला है और सरकारों पर हमले करने की जिद पर अड़ा है."

Edward Snowden in Moskau
मॉस्को में एडवर्ड स्नोडनतस्वीर: Reuters

एनएसए की वजह से हुई किरकिरी को कम करने की कोशिश में अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि 11 सितंबर के हमलों के बाद कम्युनिकेशन पर नजर रखना काफी अहम साबित हुआ. केरी ने कहा, "हमने वाकई में विमानों को नीचे गिरने से, इमारतों को धराशायी होने से और लोगों को मरने से बचाया क्योंकि हम हमले की योजना के बारे में पहले ही जानकारी पाने लगे. हम ऐसी नई दुनिया में रह रहे हैं जहां लोग अपने आपको धमाके से उड़ाने को तैयार है."

एनएसए पर जर्मन चासंलर अंगेला मैर्केल के साथ ही ब्राजील और मेक्सिको के राष्ट्रपतियों की जासूसी करने के आरोप हैं. इसकी जानकारी एनएसए के पूर्व कॉन्ट्रैक्टर एडवर्ड स्नोडन के लीक किए दस्तावेजों के पता चली. एनएसए पर फ्रांस, स्पेन और इंडोनेशिया में भी बड़े पैमाने पर जासूसी के आरोप हैं. ये सभी अमेरिका के मित्र देश हैं. इन खबरों के सामने आने के बाद यूरोप अमेरिका पर बरस पड़ा. जर्मनी ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि 'दोस्तों की जासूसी नहीं की जाती.' बर्लिन ने अपने शीर्ष खुफिया अधिकारी को वॉशिंगटन भी भेजा है. यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि भी इस मुद्दे पर अमेरिकी अधिकारियों से बात कर रहे हैं.

इस बीच गुरुवार को अमेरिकी अखबार द पोस्ट ने दावा किया कि एनएसए ने ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी जीसीएचक्यू के साथ मिलकर गूगल और याहू के सर्वरों में भी सेंध लगाई. गूगल तो खुफिया एजेंसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का भी मन बना रहा है. एनएसए इन आरोपों से इनकार कर रहा है.

ओएसजे/एनआर (एएफपी)

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