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जर्मन खाने लगे हैं ज्यादा सब्जियां

१६ दिसम्बर २०१२

बहुत से लोग अब इस पर ध्यान देने लगे हैं कि वे क्या खाते पीते हैं. स्वस्थ रहने के लिए यह जरूरी है. जर्मनी में ताजा पोषण रिपोर्ट का कहना है कि लोग ज्यादा सब्जी खाने लगे हैं, लेकिन मीट की खपत भी ज्यादा है.

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तस्वीर: Fotolia/Robert Kneschke

जर्मन लोगों की थाली में सब्जी की मात्रा बढ़ी है, लेकिन अभी भी बहुत से लोग काफी मोटे हैं. जर्मन खाद्य सोसायटी डीजीई की ताजा रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल प्रति व्यक्ति सब्जियों की खपत हुई जिसमें टमाटर, गोभी, शलजम, खीरा और फलियां खाई गईं, लेकिन फलों की खपत में कमी आई है.

स्वस्थ जीवन के लिए डीजीआई हर दिन पांच फल और सब्जी खाने का प्रचार करता है. शुक्रवार से यूरोपीय संघ का नया नियम लागू हो गया है जो लोगों की खाने पीने की चीजों के बारे में गुमराह करने वाले विज्ञापनों से रक्षा करता है. अब विज्ञापनों में यह नहीं कहा जा सकेगा कि दही शरीर में प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाता है. इसके विपरीत अधिकारियों ने यह लिखने की अनुमति दे दी है कि विटामिन सी से थकान कम होती है. उपभोक्ता सुरक्षा संगठनों ने नए नियमों की आलोचना करते हुए उसे बहुत लचर बताया है.

05.12.2012 DW Fit und Gesund Gemuese
थाली में ज्यादा सब्जियां

डीजीई के अनुसार 2000 से 2011 के बीच सब्जियों की खपत में लगातार वृद्धि हुई है. इस दौरान प्रति व्यक्ति हर साल औसत 1.1 किलो सब्जी की खपत बढ़ी है. रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जताई गई है कि खाने पीने की चीजों के बारे में जागरूकता के बावजूद बहुत से लोगों का वजन अभी भी ज्यादा है. जर्मनी में 60 फीसदी पुरुष और 43 फीसदी महिलाएं मोटी हैं. बुजुर्ग लोग खास तौर पर इस समस्या के शिकार हैं. 70 से 74 साल के आयुवर्ग में 74 फीसदी मर्द और 63 फीसदी औरतों का वजन ज्यादा है.

इसके विपरीत बच्चों में मोटापे की समस्या काबू में आ रही है. छोटी उम्र के बच्चों में अधिक वजन तीन फीसदी और मोटापा 1.8 फीसदी कम हुआ है. बच्चों और किशोरों के इलाज संबंधी सगठन ने 2008 में स्कूल में भर्ती के समय किए गए टेस्ट के नतीजों को देखने के बाद यह बात कही है. खाने पीने की चीजों पर नजर रखने वाली संस्था फूडवॉच का कहना है कि बच्चों में वजन की समस्या स्कूल में भर्ती के बाद शुरू होती है.

Fleischkonsum in Indien steigt
भारत में भी मीट की खपत बढ़ीतस्वीर: picture-alliance/dpa

खाने पर रिसर्च करने वाली संस्थाओं के संगठन के प्रमुख हंस गियोर्ग यूस्ट का कहना है कि अधिक मीठे और कैलोरी वाले खाने को बच्चों की पहुंच से दूर रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसा उन पर कर बढ़ाकर भी किया जा सकता है. लेकिन जर्मन उपभोक्ता मंत्रालय कथित अस्वस्थ खाद्य पदार्थों पर दंडात्मक कर लगाने के खिलाफ है.

इसी हफ्ते लंदन में छपे एक अंतरराष्ट्रीय स्टडी "ग्लोबल बर्डेन ऑफ डिजीज स्टडी" में कहा गया है कि पिछले दस सालों में मोटापापन बड़ी समस्या बन गया है. स्वास्थ्य के लिए बड़े जोखिमों में इसका स्थान 1990 में दसवां था, लेकिन इस बीच यह छठे स्थान पर पहुंच गया है. 187 देशों के आंकड़ों की छानबीन के बाद रिपोर्ट में कहा गया है कि 2010 में तीस लाख से ज्यादा मौतें मोटापे के कारण हुईं.

हर चार साल पर जारी होने वाली रिपोर्ट में जर्मन संस्था डीजीई का कहना है कि जर्मनी में हर शख्स हफ्ते में औसत एक किलो मीट खाता है, जबकि उसे सिर्फ 300 से 600 ग्राम मीट खाना चाहिए. डीजीई के अध्यक्ष हेल्मुट हेजेकर कहते हैं, "हम बहुत ही ज्यादा मीट खाते हैं." इसके विपरीत कम फल सब्जी खाई जाती है.

एमजे/एनआर (डीपीए)

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