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महिलाओं को कम वेतन

१८ मार्च २०१४

जर्मनी में महिलाओं और पुरुषों की कमाई में भारी अंतर जारी है. 2013 में भी पुरुषों और महिलाओं की औसत कमाई का अंतर कम नहीं हुआ है. जर्मन ट्रेड यूनियन ने स्थिति में सुधार के लिए काम के घंटे बदलने की मांग की है.

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तस्वीर: Fotolia/Pfluegl

जर्मन सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार देश में महिलाओं को काम के लिए पुरुषों से 22 फीसदी कम मेहनताना मिलता है. महिलाओं का औसत वेतन प्रति घंटे 15.56 यूरो है जबकि पुरुषों को उतने ही काम के लिए औसत 19.84 यूरो मिलता है. सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार यह अंतर पिछले चार सालों से जारी है.

जर्मनी में पुरुषों और महिलाओं के वेतन में अंतर का देश के पूर्वी और पश्चिमी हिस्से में भी फर्क है. पश्चिमी हिस्से में अंतर पूर्वी हिस्से का तिगुना है. पश्चिमी हिस्से में अंतर 23 फीसदी है तो पूर्वी हिस्से में सिर्फ 8 फीसदी. एकीकरण के बाद शामिल हुए पूर्वी हिस्से में देश की करीब 20 प्रतिशत आबादी रहती है.

वेतन में इस अंतर की वजह सांख्यिकी कार्यालय के अधिकारी महिलाओं द्वारा चुने जाने वाले पेशे को मानते हैं. इसके अलावा जर्मन कंपनियों में अधिकारी स्तर पर महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है. बच्चों को पालने की जिम्मेदारी के कारण महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा पार्ट टाइम काम करती हैं और बच्चों के पैदा होने के बाद ली जाने वाली छुट्टी के कारण कुल मिलाकर भी कम ही साल की सर्विस करती हैं.

करियर पर असर

जर्मन ट्रेड यूनियन महासंघ डीजीबी ने कहा है कि कमाई में अंतर को कम करने के लिए स्थिति को बदलने की जरूरत है. डीजीबी की उपाध्यक्ष एल्के हानाक ने कहा है कि बीच बीच में लंबी छुट्टी लेने और जरूरत की वजह से पार्ट टाइम काम करने का असर करियर के विकास पर नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि पार्ट टाइम के बाद पूरी नौकरी पर वापस लौटने का कानूनी अधिकार होना चाहिए.

पुरुषों और महिलाओं के वेतन के आंकड़ों की एक दिलचस्प बात यह भी है कि समान योग्यता और समान काम के मामले में भी पुरुषों और महिलाओं के वेतन में अंतर है. यह अंतर सात प्रतिशत है. सांख्यिकी कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि यह डाटा 2010 का है लेकिन 2013 में भी इसके समान होने की संभावना है.

अधिकारियों के स्तर पर काम करने वाली महिलाओं का खुद कहना है कि वे निवेश के मामले में सुरक्षा और सामाजिक जिम्मेदारी पर ज्यादा ध्यान देती हैं. जर्मन महिला उद्यमियों के संघ द्वारा कराए गए एक सर्वे के अनुसार 69 प्रतिशत महिला उद्यमियों की यह राय है. इसी तरह के नतीजे मझौले उद्यमों के 200 महिला अधिकारियों के बीच कराए गए एक सर्वे में भी सामने आए हैं.

पुरुष अधिकारियों की तुलना में महिला अधिकारियों का जोर मुनाफे पर न होकर रोजगार पर परिवार पर होता है. 87 फीसदी महिलाओं का कहना है कि विस्तृत योजना के बिना औद्योगिक गतिविधि संभव नहीं है जबकि 84 फीसदी का कहना है कि रोजगार बचाने के लिए वे मुनाफे को दाव पर लगाने को तैयार हैं.

एमजे/आईबी (डीपीए, रॉयटर्स)