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जब लापता हुआ भारत का विमान

१० अप्रैल २०१४

मलेशिया एयरलाइंस की फ्लाइट के लापता होने के कुछ ही दिन बाद जर्मनी के ऊपर जेट एयरवेज की एक फ्लाइट आधे घंटे तक लापता रही. विमान से संपर्क न होने पर जर्मन अधिकारी घबरा गए. बाद में पता चला कि ये पायलटों की लापरवाही से हुआ.

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Boeing 787 Dreamliner Symbolbild
तस्वीर: ADRIAN DENNIS/AFP/GettyImages

आठ मार्च 2014 को मलेशिया एयरलाइंस की फ्लाइट एमएच 370 अचानक लापता हो गई. घटना से पूरा उड्डयन क्षेत्र सकते में आ गया. सुरक्षा के प्रति दुनिया भर की एयरलाइन कंपनियां और संवेदनशील हो गईं. घटना को पांच ही दिन बीते थे कि जर्मनी के एयर ट्रैफिक कंट्रोलरों के पसीने छूट गए.

13 मार्च को लंदन से मुंबई जा रही जेट एयरवेज की फ्लाइट 9डब्ल्यू 117 का जर्मनी के एयर ट्रैफिक कंट्रोलरों से संपर्क टूट गया. विमान उस वक्त जर्मनी के उड़ान क्षेत्र में था. जर्मन एयर ट्रैफिक कंट्रोलर आधे घंटे तक जेट एयरवेज के पायलटों से संपर्क की कोशिश करते रहे लेकिन दूसरी तरफ से जवाब नहीं आया. आम तौर पर यह हवाई हादसे का पहला संकेत होता है. इसके बाद आपातकालीन सेवाओं के भारी भरकम दल को खोज बीन के लिए भेजा जाता है.

भारतीय अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जेट एयरवेज की फ्लाइट से कोई संपर्क न होने पर जर्मन अधिकारी घबराने लगे, "जर्मन प्रशासन घबरा गया, उसे लगा कि यह घटना भी कहीं एमएच 370 जैसी न हो."

आधे घंटे बाद पता चला कि संपर्क जेट एयरवेज की पायलटों की लापरवाही की वजह से टूटा. फ्लाइट के दौरान पायलटों ने अपना हेडफोन उतार दिया था. इस वजह से उन्हें एयर ट्रैफिक कंट्रोलरों की आवाज नहीं सुनाई पड़ रही थी. अखबार के मुताबिक पायलटों की इस लापरवाही की शिकायत बर्लिन ने नई दिल्ली से की है. भारत के नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.

जेट एयरवेज ने भी घटना की पुष्टि की है. कंपनी के मुताबिक, "जर्मन उड़ान क्षेत्र के ऊपर चालक दल ने हेडफोन उतारा और स्पीकर की आवाज बढ़ा दी. इसके चलते संपर्क टूट गया." जेट एयरवेज के मुताबिक जिम्मेदार पायलटों को दो हफ्ते के लिए निलंबित किया जा चुका है.

ओएसजे/एजेए (डीपीए)