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"गाने हैं बॉलीवुड की जान"

१६ अप्रैल २०१३

हमने अपने पाठकों से फेसबुक पर पूछा था कि उन्हें बॉलीवुड में क्या खास लगता है. इस पर कई लोगों ने हमें अपने विचार लिख भेजे हैं. देखिए कुछ चुनिंदा पोस्ट.

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तस्वीर: Getty Images

दुनिया की सैर

बॉलीवुड में फिल्मों के दृश्यांकन मुझे बहुत पसंद हैं. स्विट्जरलैंड के रुपहले पर्वत देखने हों या पेरिस की रंगीन शाम, कश्मीर की हसीन वादी हो या हिमालय की मनमोहक गोद. हिन्दी फिल्मों के माध्यम से दुनिया के एक से बढ़कर एक सुन्दर, मनोरम एवं सांस्कृतिक पर्यटन स्थलों की झलक आप घर बैठे पा सकते हैं. अजंता एलोरा की गुफाओं से लेकर ताजमहल, मांडू आदि प्राचीन एवं ऐतहासिक अवशेषों की कलात्मक छवि का आनंद हम हिन्दी फिल्मों के माध्यम से भी ले सकते हैं. फिल्मों के कथानक और उद्देश्य कुछ भी हो, हिन्दी फिल्मों में विश्व के बड़े-बड़े महानगरों की चकाचौंध से लेकर विश्व प्रसिद्ध हरे भरे पहाड़-जंगल, बाग बगीचों, कलकल बहते झरनों, शांत-सुरम्य झीलों की बेहतरीन फोटोग्राफी होती है. इस मामले में हिन्दी फिल्मों की कोई सानी नहीं है.

चुन्नीलाल कैवर्त,सोनपुरी,बिलासपुर,छत्तीसगढ़

बदल गई हैं फिल्में

पहले की फिल्में समाज का दर्पण हुआ करती थीं यानी उनकी पटकथा, संवाद और गीत सामाजिक तानेबाने से सीधे जुड़े होते थे. लेकिन अब फिल्मों से समाज निर्माण होने लगा है. फैशन हो या अपराध, सब कुछ फिल्मों की देन हो गया है. पुलिस रिपोर्टें बताती हैं कि काफी सारे मामले फिल्मों के आधार पर सुलझा लिए जाते हैं क्योंकि उनका आधार भी फिल्में ही हुआ करती हैं. पुरानी फिल्में शालीनता के दायरे में हुआ करती थीं लेकिन अब सेंसर बोर्ड के होते हुए भी फिल्में घर परिवार के बीच देखने लायक नहीं होतीं. एक बात और बदलाव के रूप में दिखती है, पहले की फिल्में समाज को एक संदेश देती थीं यानी उनका एक मकसद होता था लेकिन अब अधिकांश फिल्में बिना किसी खास सामाजिक संदेश के शुद्ध रूप से व्यवसाय करने के मकसद से बना करती हैं. अलबत्ता तकनीकि स्तर और फिल्मों के निर्माण की गुणवत्ता में जरूर वृद्धि हुई है.

रवि श्रीवास्तव, इंटरनेशनल फ्रेंडस क्लब, इलाहाबाद

संगीत है जान

बॉलीवुड ने 100 साल का सफर पूरा कर लिया. इस स्वप्निल चित्रपट का सुहाना दौर आज भी बदस्तूर जारी है तो जरूर इसमें कुछ बात है. दुनिया भर के फिल्मोद्योग की रफ्तार ऊपर-नीचे होती रही है, पर बॉलीवुड के प्रति दुनिया की दीवानगी आज भी कम नहीं हुई है. मैं समझता हूं इसकी सबसे अच्छी बात है बॉलीवुड फिल्मों की सांगीतिक प्रस्तुति. स्क्रिप्ट चाहे कैसी भी हो, फिल्म का संगीत लोगों को लुभा ही लेता है. बॉलीवुड संगीत ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है. गीत संगीत बॉलीवुड सिनेमा की शान है. सिनेमाई संगीत और बॉलीवुड एक दूसरे के पर्याय बन गए हैं.

माधव शर्मा, राजकोट, गुजरात

सफल है बॉलीवुड

कहते हैं कि सिनेमा समाज का आईना होता है, हमारा बॉलीवुड भी ऐसा ही है एक माध्यम है. साथ ही समाज में रहने वालों की मनोदशा को चित्रित करता है इसकी यही बात इसे खास बनाती हैं. साथ ही यह जन साधारण की कल्पना को पर्दे पर लाता है जैसा हम देखना चाहते हैं. ये एक ऐसा माध्यम है जो सपनों को हकीकत में दिखाता है और आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है. यह आम आदमी को हीरो के रूप में प्रोजेक्ट करता है और ऐसी जगह ले जाता है जहां सामान्य आदमी के लिए जाना मुश्किल होता है. बॉलीवुड अपने काम में सफल है अगर ऐसा नहीं होता तो पूरी दुनिया में उसकी धूम नहीं होती.

सचिन सेठी, उत्तम तिलक श्रोता संघ, करनाल, हरियाणा

दर्शक ही बादशाह

बॉलीवुड एक ऐसा रंगमंच है जहां बॉलीवुड के करोड़पति आम आदमी के आगे 50 रुपये के टिकट में कठपुतली की तरह नाचते हैं.

कपिल देव अत्री, ग्राम बहरी, जिला करनाल, हरियाणा

संगीत बिन सब सून

मेरे हिसाब से सबसे खास बात बॉलीवुड की जो है वह है उसका गीत और संगीत. जो हर फिल्म में होना अनिवार्य है. और तो और इन गीतों से बॉलीवुड फिल्म की पहचान भी बनती है. किशोर दा, मुहम्मद रफी, लता मंगेशकर, गुलजार, बर्मन दा और एआर रहमान जैसे कलाकारों के गाने फिल्म की लव स्टोरी को आगे बढ़ाते हैं. शायद गीत संगीत के बिना बॉलीवुड अधूरा है.

मनोज तिवारी

संकलनः विनोद चड्ढा

संपादनः अनवर जे अशरफ