1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

"कितना बदल गया फुटबॉल"

१९ अगस्त २०१३

इस सदी की शुरुआत में सर्वश्रेष्ठ जर्मन फुटबॉलर रहे मिषाएल बालाक मानते हैं कि फुटबॉल बहुत तेजी से बदला है. हालांकि वह कहते हैं कि जर्मन लीग बुंडेसलीगा का अच्छा भविष्य है.

https://p.dw.com/p/19RvS
तस्वीर: Bongarts/Getty Images

बुंडेसलीगा के 50 साल पूरे होने पर उन्होंने डॉयचे वेले के साथ खास बातचीत की.

डॉयचे वेलेः कहा जाता है कि जर्मनी में साल 2000 के आस पास के फुटबॉल में तकनीकी खामियां थीं.

मिषाएल बालाकः यह कहना जरा ज्यादा होगा. मुझे लगता है कि जर्मनी की टीम थोड़ा खराब तरीके से खेलने के लिए जानी जाती थी. हमारे पास ऐसे शानदार खिलाड़ी भी थे, जिनका खेल बहुत अच्छा था. लेकिन कुल मिला कर हमें एक संगठन और अनुशासन वाली टीम के तौर पर जाना जाता था. विदेशों में हमें भरोसेमंद टीम समझा जाता था. किसी एक के बारे में बहुत कुछ कहा जा सकता है लेकिन हमें अपनी जड़ों को नहीं भूलना चाहिए.

इस सदी के शुरू से बुंडेसलीगा बहुत तेज हो गया है. खिलाड़ियों को बहुत ज्यादा दौड़ना पड़ता है. आपने इस बात पर ध्यान दिया था कि नहीं?

बालाकः मैंने महसूस किया कि मैं ज्यादा उम्र का हो गया था. अगर आप जवान नहीं रहते हैं तो तालमेल बिठा पाना आसान नहीं होता है लेकिन इसका खेल की रफ्तार में बदलाव से कुछ लेना देना नहीं है. वैसे हर मोड़ पर आपको पेशेवर तजुर्बा लगाना पड़ता है, अपनी रणनीति बनानी पड़ती है और अपने दिमाग का बेहतर इस्तेमाल करना पड़ता है ताकि आप अपने शरीर को 20 साल के युवाओं के साथ मुकाबले में रख सकें.

मुझे लगता है कि हमने 2002 में बायर लेवरकूजन के लिए शानदार फुटबॉल खेला, जिसमें हमने आक्रमण और तेजी से पास देने पर ध्यान दिया. उसके बाद बायर्न म्यूनिख में चीजें बहुत कुछ तय थीं और चेल्सी में बहुत दौड़ना पड़ता था, रेफरी का कम दखल होता था और कम फाउल होते थे. इसलिए, रफ्तार को लेकर बहुत मुश्किल नहीं थी. लेकिन खेलने का तरीका और कोच के निर्देश से खेल तय होता था.

Abschiedsspiel Michael Ballack
मिषाएल बालाक की विदाईतस्वीर: picture-alliance/dpa

भविष्य का फुटबॉल कैसा होगा?

बालाकः इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कैसा फुटबॉल खेलते हैं. जाहिर है कि आप हमेशा आकर्षक और बेहतर फुटबॉल खेलना चाहेंगे. लेकिन अगर इटली के खिलाड़ियों को देखा जाए, तो इससे कोई फर्क ही नहीं पड़ता है. जैसा कि जर्मन कोच ओटो रेहहागल का कहना है कि आपको जीतना है, सिर्फ इसी से फर्क पड़ता है.

2002 में विश्व कप के दौरान जर्मन टीम बहुत अच्छी लग रही थी. हम फाइनल तक पहुंच गए थे. उसके बाद से कोई भी जर्मन टीम ऐसा नहीं कर पाई, जबकि बहुत जबरदस्त युवा खिलाड़ी हैं. फिर भी मैं मानता हूं कि जर्मन टीम का भविष्य बहुत अच्छा है.

मीडिया से किसी खिलाड़ी पर किस तरह का असर पड़ता है.

बालाकः इन दिनों नाटकीय तरीके से बदलाव देखने को मिलता है. कभी खिलाड़ी आसमान की बुलंदियों तक पहुंच रहे हैं और कभी बहुत नीचे गिर रहे हैं. शायद पहले इस तरह चीजों को बढ़ा चढ़ा कर नहीं पेश किया जाता था. आज के खिलाड़ी बहुत सावधान हो गए हैं और अपने शब्दों पर बहुत ध्यान देते हैं. पहले हमने कुछ शानदार खिलाड़ियों को देखा है. हम सिर्फ शानदार खिलाड़ी ही नहीं, बल्कि अच्छी शख्सियतें भी देखना चाहते हैं.

तो आप का कहना है कि आज के युवा खिलाड़ी ज्यादा लाइन पर हैं.

बालाकः मुझे नहीं लगता कि वे ऐसा सुनना पसंद करेंगे. लेकिन आज बहुत कुछ ऐसा है, जिससे उन्हें दो चार नहीं होना पड़ता है. फर्स्ट क्लास खिलाड़ियों को पिच पर अपने प्रदर्शन का ख्याल रखना पड़ता है, इसके पहले और बाद की चीजों का ख्याल कोई और रखता है. इस वजह से उनकी आजादी भी थोड़ी बहुत खो रही है.

Michael Ballack vs Tom Ovrebo Champions League Halbfinalrückspiel Barcelona Chelsea
चेल्सी में भी खेले बालाकतस्वीर: picture alliance / empics

उन्हें एक अच्छी बहस का माहौल बनाने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाता है क्योंकि उन्हें चांदी की थाल पर सजा कर समाधान दे दिए जाते हैं. हालांकि कई बार पिच पर इसका अच्छा नतीजा मिलता है, जब पेशेवर खेल की जरूरत होती है. और आखिर में यही बात मायने रखती है. कोई भी कोच, क्लब या खिलाड़ी 90 मिनट का अच्छा प्रदर्शन करना चाहता है. और इसके लिए हर चीज को बेहतर करने की कोशिश की जाती है, खिलाड़ियों की निजी जिंदगी से लेकर उनके बच्चों की देखभाल तक.

और इन सबका असर क्या होने वाला है?

बालाकः हम देख रहे हैं कि इंटरनेट और सोशल मीडिया से संवाद की तकनीक कितनी तेज होती जा रही है. पहले जो अखबारों में हुआ करता था, वह आने वाले वक्त में सिर्फ इंटरनेट पर होगा. जिंदगी बहुत तेज हो गई है. अब किसी भी खबर को दुनिया भर में फैलने में सिर्फ कुछ सेकेंड लगते हैं. अगर आप सेलिब्रिटी हैं, तो यह बड़ी चुनौती है. हम फुटबॉल में भी नई तकनीक लागू होते हुए देखेंगे, जिनमें गोल कंट्रोल कैमरा, हो सकता है कि ऐसी फुटबॉल आ जाए, जिसमें अंदर कंप्यूटर चिप लगा हो, कुछ दिन पहले तो कोई ऐसा सोच भी नहीं सकता था. इसलिए जिंदगी के दूसरे हिस्सों में तकनीक के विकास के साथ कई संभावनाएं खुल रही हैं. मैं इस बात को देखने के लिए उत्साहित हूं कि यह सब किधर जा रहा है.

हम वक्त के साथ खुद को कैसे मिला कर चल सकते हैं?

बालाकः हमें अपने वक्त का सबसे अच्छा इस्तेमाल करना होगा. इसे कम से कम बर्बाद करें. अनुशासन में रहें और इस बात का ख्याल रखें कि कोई यूं ही हमसे आगे न निकल जाए.

(मिषाएल बालाक 1976 में पैदा हुए और जर्मन राष्ट्रीय टीम के कप्तान रह चुके हैं. मूल रूप से पूर्वी जर्मनी के बालाक शानदार मिडफील्डर रहे हैं और 1995 में उन्होंने केमनित्जर क्लब के साथ करियर की शुरुआत की. तीन साल बाद उनके खेल की मदद से नई नई टीम काइजर्सलाउटर्न ने बुंडेसलीगा का खिताब जीता. वह बायर्न म्यूनिख में भी थे और उनके दौर में टीम ने 2003, 2005 और 2006 का खिताब जीता. बालाक ने कुल 267 बुंडेसलीगा मैच खेले हैं और 77 गोल किए हैं.)

इंटरव्यूः कॉन्सटांटीन श्टूवे/(अनवर जे अशरफ)

संपादनः आभा मोंढे

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें