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मंथन 51

५ सितम्बर २०१३

कार पेट्रोल और डीजल तो पीती है पर कोई कार तीन लाख लीटर पानी कैसे पी सकती है? जानेंगे इस बार मंथन में साथ ही बताएंगे कि कैसे कारों के लिए नए ईंधन की तलाश अब हाइड्रोजन गैस तक पहुंच चुकी है.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

कार पेट्रोल और डीजल तो पीती है पर कोई कार तीन लाख लीटर पानी कैसे पी सकती है? जानेंगे इस बार मंथन में साथ ही बताएंगे कि कैसे कारों के लिए नए ईंधन की तलाश अब हाइड्रोजन गैस तक पहुंच चुकी है.

ब्रिटिश भूगोलशास्त्री जॉन एलन ने दो दशक पहले वर्चुअल वाटर या वाटर फुटप्रिंट का सिद्धांत निकाला, यानी आभासी पानी सिद्धांत. उसके अनुसार जो चीजें हमारे सामने बन कर आती हैं, हम नहीं जानते कि उन्हें तैयार करने में कितना पानी खर्च हुआ है. उदाहरण के लिए इस सिद्धांत के अनुसार एक कप कॉफी के लिए सैकड़ों लीटर पानी खर्च होता है. इसमें खेतों में कॉफी उपजाने से ले कर कप तक पहुंचने तक जितना भी पानी लगा है, उसका हिसाब है.

इसी तरह कार के आकार के मुताबिक उस पर 10,000 लीटर से तीन लाख लीटर तक पानी खर्च होता है. एक किलो चावल और मक्के पर 2,500 लीटर पानी खर्च होता है और गेहूं पर करीब 1500 लीटर. इस तरह के बहुत सारे उदाहरण हैं, जैसे सिर्फ दो ग्राम के मोबाइल फोन चिप पर 32 लीटर पानी खर्च हो जाता है और कागज के एक पन्ने पर 10 लीटर.

इथियोपिया में बिजली

पानी का अगर सही उपयोग किया जाए तो उसे बचाया जा सकता है और बिना व्यर्थ किए उससे बिजली भी बनाई जा सकती है. इस से पर्यावरण की मदद तो होगी ही, साथ ही कई देशों को आर्थिक फायदा भी मिलेगा. कई देश ऐसे हैं, जिन्हें बिजली के लिए आस पास के मुल्कों से मदद की जरूरत होती है. ऐसा ही एक देश है अफ्रीका का इथियोपिया.

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मंथन में वाटर स्पोर्ट फ्लाईबोर्डिंग की भी बात होगी.तस्वीर: DW

यहां जब पड़ोसी देशों से मदद नहीं मिली तो आम लोगों की मदद से बांध बनाने की कोशिश की गई. दक्षिणी इथियोपिया के कई गांवों में न तो सड़कें हैं और न ही बिजली. गांवों में पीने के साफ पानी का संकट है. मटमैले पानी के लिए भी मशक्कत करनी होती है. सरकार हालात बदलना चाहती है. देश को अफ्रीका का सबसे बड़ा बिजली उत्पादक बनाना चाहती है. उम्मीद है कि बिजली आएगी तो फैक्ट्रियां भी लगेंगी, कारों की भी.

कार की दुनिया में नई क्रांति

कार के अंदर थोड़ी बहुत भी आवाज हो, तो झुंझलाहट होती है. कार से निकलने वाली हर आवाज को कंपनियां बहुत गंभीर होते हैं और चाहते हैं कि उनकी कार बिलकुल पर्फेक्ट आवाज करें. जर्मनी की पोर्शे जैसी कई कारें तो अपनी आवाज के लिए जानी जाती हैं. ऐसे में साउंड इंजीनियरों का काम बढ़ जाता है. कैसे तय करते हैं वे कि किसी कार से कितनी आवाज निकले और बेसुरी आवाजों को कैसे रोका जाए बताएंगे आपको मंथन के ताजा एपिसोड में.

Porsche Cayman S 2013
पोर्शे जैसी कारें अपनी आवाज के लिए जानी जाती हैं.तस्वीर: Porsche

साथ ही कारों के ईंधन के नए विकल्प पर भी होगी बात. पेट्रोल लगातार महंगा होता जा रहा है और सीएनजी की सुरक्षा को लेकर आए दिन सवाल उठते हैं. बैट्री से चलने वाली कार पर दो दशक से रिसर्च चल रही है लेकिन पक्का नतीजा नहीं निकल पाया है. ऐसे में एक उपाय हाइड्रोजन गैस से निकलता दिख रहा है. जर्मनी के रिसर्चर हाइड्रोजन से ईंधन तैयार कर रहे हैं, जो कार की दुनिया में नई क्रांति ला सकती है. इस मुद्दे के तकनीकी पक्ष को विस्तार से समझाएंगे मंथन में.

कलाबाजियों वाला अनोखा खेल

पर्यावरण से जुड़े इन मुद्दों के साथ साथ मंथन में बात होगी फ्लाईबोर्डिंग नाम के वाटर स्पोर्ट की. यह एक्सट्रीम स्पोर्ट इटली और आस पास की कुछ दूसरी जगहों पर इन दिनों काफी लोकप्रिय हो गया है. इस अनोखे खेल में खिलाड़ी पानी के अंदर कलाबाजियां भी खाते हैं और पानी के ऊपर सर्फिंग भी करते हैं. बेहतरीन तस्वीरों वाली इस रिपोर्ट के साथ हाजिर होंगे शनिवार सुबह 10.30 बजे डीडी-1 पर.

एजेए/आईबी

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