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कहां जाएंगी अफगान महिला कैदी

२० दिसम्बर २०१३

फरीदा के पति ने जब अपने नशे के लिए तीन साल की बेटी को बेच दिया, तो पश्चिमी हेरात प्रांत में रहने वाली फरीदा बर्दाश्त नहीं कर पाई. उसने चाकू उठाया और पति को मार डाला.

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तस्वीर: picture-alliance/AP Photo

इसके बाद वह पति की लाश को घसीट कर सड़क पर ले गई और पुलिस को इस बात की जानकारी दी. अब वह अफगानिस्तान के हेरात में ही महिलाओं की जेल में 20 साल की सजा काट रही है. उसका कहना है, "मैं इस सजा से इत्तेफाक नहीं रखती." बिलकुल थमी हुई आंखों के ऊपर हरे रंग का दुपट्टा करीने से ओढ़े 31 साल की फरीदा कहती है, "मैं कितनी खराब हालत में थी, उन्होंने इस पर ध्यान ही नहीं दिया."

उसका कहना है कि उसे तो लग रहा था कि पुलिस उसकी हत्या कर देगी. अब वह चार साल से जेल में है. विदेशी मदद से उसे लगातार खाना और दवाइयां मिलती आ रही हैं. लेकिन अब अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान छोड़ रहे हैं. पता नहीं कि इसके बाद उसका क्या होगा. फिलहाल देश में इतालवी टीम जेलों की मरम्मत और देखरेख का काम करती थी, लेकिन विदेशी सैनिकों के साथ वे भी अफगानिस्तान से जाने की तैयारी कर चुके हैं.

महिला अधिकार नहीं

सरकार ने महिला अधिकारों की सुरक्षा के लिए अभी तक कुछ खास नहीं कहा है और न ही कोई योजना बनाई गई है. सरकार का सारा ध्यान तालिबान से निपटने पर है. ह्यूमन राइट्स वॉच की रिसर्चर हीथर बर का कहना है, "अगर सरकार उन्हें खाना नहीं देगी, तो वे भूखी रह जाएंगी. विदेशी टीमों के जाने के बाद सरकार की जिम्मेदारी बढ़ जाती है."

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औरतों को लेकर अफगानिस्तान में संजीदा कानून की कमीतस्वीर: imago stock&people

हेरात की जेल में 169 महिला कैदी हैं और यह अफगानिस्तान में महिलाओं की दूसरी सबसे बड़ी जेल है. सबसे बड़ी जेल काबुल में है, जहां 230 महिला कैदी हैं. जेल में महिला कैदियों को अंग्रेजी और कंप्यूटर की ट्रेनिंग भी मिलती है.

कई प्रांतों में महिलाओं के लिए शिविर चलाने वाली सुरैया पाकजाद का कहना है कि विदेशी मदद इन महिलाओं के लिए बड़ा सहारा थी, "महिला कार्यकर्ताओं के लिए तो यहां बहुत कम बजट है. हर कोई 2014 की बात कर रहा है. महिला समुदाय में इसे लेकर डर बैठ गया है."

पुरुषों की मानसिकता

उनके डर की वजह अफगान पुरुषों की बरसों पुरानी मानसिकता है, जो अब भी नहीं बदली है. न्याय प्रक्रिया में भी आम तौर पर महिलाओं को ही दोषी माना जाता है, चाहे कसूर किसी का हो.

मिसाल के तौर पर फरीदा का कहना है कि उसने बरसों देखा कि किस तरह उसके पति ने घर की जायदाद नशे के लिए उड़ा दी और मासूम बच्ची को भी बेच दिया. इसके बाद ही उसने हत्या जैसा कदम उठाया. जेल में बंद कई औरतों का कहना है कि उनके साथ बदतमीजी हो रही थी और उन पर जिना (परपुरुष के साथ सेक्स) के आरोप लगाए गए थे. पाकजाद का कहना है कि गिरफ्तारी के बाद उनके कुंवारेपन की जांच की गई और इस जांच में पास होने के बाद भी उन्हें जेल भेज दिया गया.

यहां तक कि बलात्कार की पीड़ित महिलाओं को भी जिना का दोषी पाया गया. उन्होंने कई बार जेल में बच्चों को जन्म दिया. इस साल हेरात की जेल में 10 बच्चों का जन्म हुआ और इस जेल में कुल 70 बच्चे सींखचों के पीछे पल रहे हैं.

मुश्किल में कैदी

राष्ट्रपति हामिद करजई ने अमेरिका के साथ एक विवादित सुरक्षा समझौते पर अब तक दस्तखत नहीं किया है. अमेरिका का कहना है कि अगर राष्ट्रपति दस्तखत नहीं करते, तो वह अपनी पूरी फौज अफगानिस्तान से हटा लेगा. अगर ऐसा होता है, तो वहां की महिलाओं की सुरक्षा पर और भी सवाल उठेंगे.

हेरात की जेलर सीमा पाजमान का कहना है, "हमें अभी भी ज्यादा मदद की उम्मीद है." वह 25 साल से इस जेल में काम कर रही हैं, जिसमें तालिबान काल भी शामिल है. लेकिन अगर अमेरिका देश से बाहर जाता है, तो संभावना है कि दूसरे देश के सैनिक भी बाहर चले जाएं.

पाजमान ने कभी खुद से यह नहीं पूछा कि क्या ये औरतें बेगुनाह भी हो सकती हैं, "मैं अदालतों पर सवाल नहीं करती. मैं समझती हूं कि जुर्म हुआ है, तभी सजा मिली है."

एजेए/एमजे (रॉयटर्स)

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