1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कन्या भ्रूण हत्या 'राष्ट्रीय शर्म' की बात: मनमोहन

२१ अप्रैल २०११

भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कन्या भ्रूण हत्या को ‘राष्ट्रीय शर्म’ बताया है. प्रधानमंत्री ने माना कि महिलाओं की कामयाबी के बावजूद भारतीय समाज अब भी लड़कियों को लेकर पूर्वाग्रहों का शिकार है.

https://p.dw.com/p/111l9
तस्वीर: AP

2011 में हुई जनगणना के आंकड़ों का जिक्र करते हुए मनमोहन सिंह ने यह टिप्पणी की. सिंह ने कहा कि जनगणना से सामने आए अधिकतर पहलू तो उत्साहवर्धक हैं लेकिन इसमें बच्चों में बढ़ते लिंग अनुपात की कड़वी सचाई भी सामने आई है. पीएम ने इसे सामाजिक मूल्यों पर चोट बताया.

एक समारोह के दौरान सिंह ने कहा कि देश में बच्चों के लिंग अनुपात की समस्या दूर करना सिर्फ कानून के बस की बात नही है. उन्होंने कहा कि मौजूदा कानूनों को कड़ाई से लागू किए जाने के बावजूद कन्या भ्रूण हत्या के मामले सामने आ रहे हैं. उन्होने कहा, ''महत्वपूर्ण यह है कि हम अपने समाज में कन्या शिशु को किस नजर से देखते हैं.''

Junge Mädchen des Patna Women´s College
तस्वीर: UNI

मनमोहन ने कहा कि महिलाओं ने क्लासरूम से लेकर कई क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा को साबित किया है. इसके बावजूद लड़कियों को लेकर समाज के कई हिस्सों में अब भी नकारात्मक सोच बनी हुई है. उन्होंने कहा, ''यह हमारे लिए राष्ट्रीय शर्म की बात है कि इस सबके बावजूद हमारे देश के कई इलाकों में कन्या भ्रूण हत्या और शिशु हत्या जारी है.''
प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि इस समस्या से निपटने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों को और ज्यादा मुस्तैदी से सामने आना होगा. 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में लिंगानुपात 1000 पुरुषों पर 914 महिलाएं हैं. आजादी के बाद यह पहला मौका है जब भारत में लड़कों और लड़कियों के बीच का अनुपात इतना ज्यादा गिरा है. हरियाणा और पंजाब के कुछ गांव ऐसे हैं जहां लड़कियां पैदा ही नहीं हुईं. जनगणना के मुताबिक पुरुषों की तुलना में महिलाओं में साक्षरता ज्यादा तेजी से बढ़ी है, लेकिन इसके बावजूद कन्या भ्रूण हत्या या बेटियों के प्रति नफरत की भावना जारी है.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: उभ

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी