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ऐतिहासिक नगरी कोलोन की

शिव प्रसाद जोशी२० अगस्त २००९

कोलोन जर्मनी का चौथा सबसे बड़ा और सबसे पुराना शहर है. इसकी आबादी है क़रीब दस लाख. इस शहर की ख़ूबियों ने तो रोमन साम्रराज्य की भी मन मोह लिया. इतिहास बताता है कि हर किसी ने कोलोन को अपना बनाने की कई बार कोशिशें की.

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राइन के किनारे बसा कोलोनतस्वीर: AP

कोलोनः कैथेड्रल से कार्निवल तक

उत्सव भी क्या कोई मौसम है?! सवाल है तो अटपटा. लेकिन ठहरिए, अगर आप कोलोन के संदर्भ में ये पूछ रहे हैं तो जी हां, उत्सव भी एक मौसम है. एक बहार है एक उमंग है एक ख़्वाब है. कोलोन में उत्सव सब कुछ है. कोलोन के कार्निवल का मौसम भी जर्मनी में साल का पांचवा मौसम सरीखा है.

जर्मनी का ऐतिहासिक शहर और रोमन साम्राज्य का एक बड़ा केंद्र रहा कोलोन हुकूमतों के अवशेषों का ढेर नहीं. वो संस्कृति, कला और जीवन की चली आ रही हलचलों का जखीरा है. ठसाठस अपनी उमंग में मस्तमौला. “क्योल्ले आलाफ!“ हर बसंत में कोलोन में यही एक महा पुकार गूंजती है. यानी कार्निवल का आगमन हो गया है, साल का “पांचवा मौसम.” कार्निवल के दीवाने अपनी चमकदार रंगबिरंगी अजीबोग़रीब पोशाकों में कोलोन की सड़कों को पाट देते हैं. वे हर कहीं छा जाते हैं. सड़क, दुकान, बार, रेस्तरां, सुपर बाज़ार, पेड़, बगीचे, नदी, हर जगह उनकी धूम और उनका शोर बिखरा रहता है. संगीत के शौकीन अपने गाजे बाजे के साथ सड़कों पर निकल पड़ते हैं. कार्निवल गीतों की धुनों पर थिरकते, ड्रम बजाते बांसुरी बजाते.

BdT Kölner Karneval eröffnet 11.11.2006
मशहूर कोलोन कार्निवलतस्वीर: AP

कोलोन में कार्निवल के वक़्त लगता है कुदरत भी इस नाच गाने में शामिल होने के को विवश हो जाती है. पांच दिन और पांच रात कोलोन अपने महा उत्सव की विराट मस्ती में डूबा रहता है.
लेकिन कोलोन सिर्फ़ मज़ाक और मस्ती की जगह ही नहीं है. अपनी सांस्कृतिक विरासत, अपनी दोस्ती और अपने शांत मिज़ाज के लिए कोलोन यूरोप में मशहूर है. राइन नदी का शांत किनारा हो या कोलोन की ऐतिहासिक नक्काशीदार गलियां, पारंपरिक कोल्श बीयर के साथ सैलानी अभिभूत हुए बिना नहीं रहते.

महा कैथड्रल का कोलोन

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कलोन में हमेशा उत्सवतस्वीर: AP

दो हज़ार साल पहले राइन नदी के किनारे रोमन साम्राज्य का विस्तार केंद्र कोलोन ही था. व्यापारिक चौकी रोम शासकों ने यहां स्थापित की थी और नाम दिया था कोलोनिया. रोमन दौर की निशानियां कोलोन में आज भी यहां वहां बिखरी हुई हैं. राइन नदी इलाक़े में व्यापार का प्रमुख रास्ता रहा है. और इसकी बदौलत कोलोन की समृद्धि भी रही. मध्ययुगीन दौर में रोमन शासन के बनाए 12 चर्च और क़िले सरीखे तीन नगर द्वार कोलोन की विशिष्टता रहे हैं.

कोलोन का सबसे प्रसिद्ध प्रतीक चिन्ह है उसका महाकाय कैथेड्रल. क्योलनर डोम. सैलानियों का हुजूम इसे देखने यहां उमड़ा रहता है. गोथिक वास्तु शैली की इस इमारत को बनाने में सैकड़ों साल लगे थे. 15 अगस्त 1248 को इसकी नींव पड़ी. सन् 1520 तक ये छिटपुट बनता ही रहा. फिर इसका काम रूक गया. और 19 वीं सदी में 1842-80 के दरम्यान ये महा कैथेड्रल पूरा बनकर तैयार हो पाया. कैथेड्रल की जुड़वा मीनारें 157 मीटर ऊंची है औऱ उन्हे देखकर लगता है कि वे आकाश के सीने में भी सूराख़ कर सकती है. इतनी भव्य, इतनी विराट और इतनी ऐंद्रिक अनुभूति वाली इमारतें दुनिया में कम ही हैं.

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कोलोन में ही बनती है कोल्श बीयरतस्वीर: picture-alliance/ dpa

आज का कोलोन

और आज कोलोन का नया रूप जर्मनी की शान है. समकालीन कला के नायाब नमूने यहां हैं. और कई मशहूर कला दीर्घाएं भी. लुडविग संग्रहालय का अपना नाम है. और आर्ट कोलोन नाम से एक मेला ही यहां लगता है जिसमें कला दुनिया की शख़्सियतें और नामचीन कलाकार शामिल होने आते हैं. मीडिया प्रतिष्ठानों के मामले में भी कोलोन अव्वल है. जर्मनी के प्रमुख मीडिया केंद्र यहां हैं. दस रेडियो और टीवी स्टेशन कोलोन में स्थापित किए गए हैं. वेस्ट जर्मन ब्रॉडकास्टिंग(वीडीआर), आरटीएल टीवी स्टेशन और क़रीब 400 प्रोडक्शन कंपनियों के मुख्यालय कोलोन में हैं. कई प्रतिष्ठित अख़बारों के दफ़्तर भी यहां हैं. कोलोन में मीडिया का विस्तार जारी है. मीडिया कला संस्कृति और कारोबार की चहलपहल कोलोन को ख़ास बनाती है.

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कैथेड्रल भी देख सकते हैं और करतब भीतस्वीर: AP

कोलोन की ये उद्दाम जिजीविषा यूं ही नहीं बनी है. उसने विध्वंस आक्रमण और विनाश का लंबा दौर देखा है. रोमन दौर से लेकर दूसरे विश्व युद्ध तक कोलोन तड़पता ही रहा. इसके ध्वंस में इसकी सिसकियां हैं. आज भी जब आप पुराने कोलोन को देखते हैं तो उसकी बरबादी का अंदाज़ा लगा सकते हैं. लेकिन अपनी राख से प्रकट हो आने की कुव्वत वाला निकला ये शहर और आज कोलोन की विनम्र भव्यता देखते ही बनती है. जो एक सबक भी है.