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इतिहास में तैर गया ओलंपिक

१ अगस्त २०१२

माइकल फेल्प्स अगर अपने सभी पदक एक साथ गले में डाल लें तो उनका वजन साढ़े तीन किलो बढ़ जाएगा. ओलंपिक इतिहास के महानतम खिलाड़ी ने भले ही शुरू में नाकामी देखी लेकिन आखिर में उन्हें सबसे ऊंची जगह मिल ही गई.

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तस्वीर: AP

क्या ही खूब होता कि अगर इतिहास सोने के पदक से बनता और हुआ भी ऐसा ही. फेल्प्स ने जब टीम इवेंट में 4X200 मीटर फ्रीस्टाइल की तैराकी का सोना जीता, तो उनके नाम ओलंपिक खेलों में 19 पदक हो गए. इतने पदक, जितने की चार पांच देश से ज्यादा जीत भी नहीं पाते और भारत ने तो आजादी के बाद से भी इतने पदक नहीं जीते हैं. सोने पर सुहागा यह कि उनके 19 में से 15 पदक सोने के हैं, दो चांदी और दो कांसा.

थकान भरी दूरी तय करने के बाद फेल्प्स खुश हैं, "मैं समझता हूं कि यह इसी बात को साबित करता है कि मेहनत का फल मीठा होता है. सबसे बड़ी बात है कि मैंने हमेशा कहा है कि कुछ भी असंभव नहीं है. मैंने अपना दिमाग वह हासिल करने पर लगा दिया था, जो आज तक किसी ने नहीं किया हो. मैं पहला माइकल फेल्प्स बनना चाहता था."

Olympiade London 2012 Michael Phelps
तस्वीर: Reuters

इसके साथ ही उन्होंने पूर्व सोवियत संघ की जिमनास्ट लरीसा लातीनीना को पीछे छोड़ दिया. लातीनीना ने 1956 से 1964 के बीच ओलंपिक के 18 मेडल जीते हैं.

पिछली बार बीजिंग ओलंपिक में सभी आठों प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक हासिल करने वाले फेल्प्स को 200 मीटर बटरफ्लाई में भी सोने के मेडल की पूरी आशा थी. लेकिन दक्षिण अफ्रीका के चाड ले क्लोस ने 200 मीटर बटरफ्लाई में उनकी हसरत पूरी नहीं होने दी. आखिरी कुछ मीटर में दक्षिण अफ्रीकी तैराक ने फेल्प्स को पीछे छोड़ दिया. फेल्प्स खुद पर इस कदर नाराज हुए कि उन्होंने दूरी पूरी करने के बाद अपनी टोपी उतार कर पानी में फेंक दी. दूसरी तरफ क्लोस जब सोने का तमगा लेने पोडियम पर चढ़े तो खुशी के मारे उनकी आंखों से आंसू बह निकले.

Olympiade London 2012 Michael Phelps
तस्वीर: Reuters

घंटे भर बाद 4X200 फ्रीस्टाइल के मुकाबले के लिए 27 साल के फेल्प्स दोबारा उतरे. अपने साथियों से अनुरोध किया कि बस शुरुआती बढ़त दिला दें, बाकी काम वह कर देंगे. साथियों ने ऐसा कर दिया. फिर तो फेल्प्स किसी की पकड़ में ही नहीं आए. मीटर दो मीटर का फासला बना लिया और आखिरी लकीर छूकर ही दम लिया. अबकी बार खुशी के आंसू फेल्प्स की आंखों में आए.

अमेरिकी प्रांत मेरीलैंड के बाल्टीमोर में पैदा हुए फेल्प्स बेध्यानी के रोग एडीएचडी से प्रभावित थे. शायद इसके इलाज के लिए उन्हें तैरने की सलाह दी गई. तब किसी ने सोचा भी न होगा कि यह तैराकी इतनी दूर तक जाएगी. उन्होंने सिर्फ 15 साल की उम्र में सिडनी ओलंपिक में हिस्सा लिया, जब ऑस्ट्रेलिया के इयान थोर्पे का जलवा था. 200 मीटर बटरफ्लाई में उन्होंने पांचवां स्थान हासिल किया.

फिर आया एथेंस 2004 और साथ आया फेल्प्स का दौर. उन्होंने छह स्वर्ण और दो कांस्य सहित आठ पदक झपट लिए. फेल्प्स अचानक हीरो बन गए. फिर तो जैसे उनका दौर ही छा गया. बीजिंग ओलंपिक में उन्होंने जितने स्पर्धाओं में हिस्सा लिया, उन सभी में सोने के तमगे जीते. दो ओलंपिक में उनके नाम 16 पदक हो गए, जिनमें 14 सोने के थे. कहा जाने लगा कि फेल्प्स के रिकॉर्ड सिर्फ फेल्प्स ही तोड़ सकते हैं.

लंदन ओलंपिक में तीन और पदक जीत कर उन्होंने फासला बहुत ज्यादा कर दिया है. 18 पदक जीतने वाली लातीनीना ने उन्हें बधाई दी है. लंदन में फेल्प्स का रेस देख रहीं 77 साल की लातीनीना ने कहा, "मैं बहुत संतुष्ट हूं. आखिरकार मेरा रिकॉर्ड 48 साल तक रहा. फेल्प्स एक बेहद प्रतिभाशाली और करिश्मे वाले खिलाड़ी हैं."

एजेए/एनआर (रॉयटर्स, एपी, एएफपी)

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