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इतिहास में आज: 21 मई

२० मई २०१४

1991 में आज ही के दिन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या हुई. श्रीलंका में शांति सेना भेजने से नाराज तमिल विद्रोहियों के संगठन लिट्टे ने तमिलनाडु के श्रीपेरम्बदूर में राजीव पर आत्मघाती हमला करवाया.

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राजीव गांधी की आखिरी तस्वीरतस्वीर: picture-alliance/dpa

श्रीपेरम्बदूर में लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार कर रहे राजीव गांधी के पास एक महिला फूलों का हार लेकर आई. जैसे ही वो महिला हार पहनाने के लिए बेहद करीब पहुंची, धमाका हो गया. धमाका इतना जबरदस्त था कि उसकी चपेट में आने वाले ज्यादातर लोगों के मौके पर ही परखच्चे उड़ गए.

46 साल के युवा नेता को खोने का मातम पूरे देश में देखा जा सकता था. देश भर में ज्यादातर जगहों पर सुबह सुबह लोगों को रेडियो के जरिए राजीव गांधी की हत्या की खबर मिली. देखते ही देखते देश भर के सरकारी संस्थानों में तिरंगा झुक गया. स्कूलों में शोकसभाएं हुईं.

जवाहर लाल नेहरू के नाती और इंदिरा गांधी के बड़े बेटे राजीव ने ब्रिटेन में कॉलेज की पढ़ाई की. इसके बाद 1966 में वो कर्मशियल पायलट बन गए. राजीव गांधी 1980 तक इंडियन एयरलाइंस के पायलट थे. उनके छोटे भाई संजय गांधी राजनीति में थे. 1980 में एक विमान हादसे में संजय गांधी की मौत हो गई. इसके बाद राजीव राजनीति में आए. उन्होंने संजय गांधी की मौत के बाद खाली हुई अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने. लोकसभा चुनावों में कांग्रेस तीन चौथाई बहुमत से संसद में दाखिल हुई. 533 में से पार्टी ने 414 सीटें जीतीं. राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री बने तब उनकी उम्र महज 40 साल थी. युवा प्रधानमंत्री से देश को काफी उम्मीदें थीं. उन्होंने स्कूलों में कंप्यूटर लगाने की व्यापक योजना बनाई. देश भर में उन्होंने जवाहर नवोदय विद्यालय स्थापित किए, ताकि गांव के बच्चों को छठी से 12वीं तक अच्छी पढ़ाई करने का मौका मिले. राजीव ने गांव गांव तक टेलीफोन पहुंचाने के लिए पीसीओ कार्यक्रम शुरू किया. लाइसेंस राज को कम किया गया, लेकिन वक्त बीतने के साथ सरकार की छवि पर बड़े धब्बे भी लगने लगे. सिख दंगे, भोपाल गैस कांड, शाहबानो केस, बोफोर्स कांड, काला धन और श्रीलंका नीति को लेकर सरकार की बेहद आलोचना हुई.

इतिहासकार रामचंद्र गुहा के मुताबिक राजीव गांधी के कार्यकाल में कांग्रेस के नेताओं से पसीने की गंध की जगह आफ्टर शेव की बास आने लगी. गुहा मानते हैं कि उस दौर में राजनीति में बड़े भ्रष्टाचार की शुरुआत हुई. इसकी कीमत 1989 के चुनाव में राजीव गांधी को चुकानी पड़ी. कांग्रेस की हार हुई और वीपी सिंह की सरकार बनी. 1990 में सरकार गिरी और कांग्रेस के समर्थन से चंद्रशेखर की सरकार बनी. 1991 में यह सरकार भी गिर गई और चुनाव का एलान हुआ. इन्हीं चुनावों के लिए प्रचार करने राजीव तमिलनाडु गए थे.