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इंटरनेट युग में विदेश नीति

१ जुलाई २०१४

विदेश नीति का मतलब है बातचीत और इसमें समय लगता है. लेकिन ग्लोबल मीडिया फोरम में आए जर्मन विदेश मंत्री फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर ने यूक्रेन संकट की बात करते हुए कहा कि इंटरनेट युग हर समस्या का समाधान कम समय में चाहता है.

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फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायरतस्वीर: DW/M. Müller

जर्मन विदेश मंत्री श्टाइनमायर ने कहा, "मैं ब्रेकिंग न्यूज जैसी कोई चीज लाना चाहता था." लेकिन साथ ही उन्होंने यूक्रेन और रूस के बीच शांति वार्ता को लेकर अपनी निराशा जताई. जर्मनी और फ्रांस की मध्यस्थता में दोनों देश पूर्वी यूक्रेन संकट को सुलझाने के लिए बात कर रहे हैं. यूक्रेन के राष्ट्रपति पेट्रो पोरोशेंको ने पूर्वी यूक्रेन के अलगाववादियों के साथ युद्धविराम का प्रस्ताव वापस ले लिया है. लेकिन जर्मन विदेश मंत्री को अब भी उम्मीद है कि किसी तरह से समस्या को सुलझाया जा सकेगा. केवल बातचीत से ही यूक्रेन में खून की नदियां बहनी बंद होगी.

क्लिक की तानाशाही

ब्रेकिंग न्यूज की बात कह कर श्टाइनमायर वास्तव में इंटरनेट और मीडिया पर टिप्पणी कर रहे थे. वे कहते हैं, "डीडब्ल्यू ग्लोबल मीडिया फोरम में बोलने से पहले वे सोच रहे थे कि उनके भाषण का शीर्षक कुछ ऐसा होना चाहिए, "विदेश नीति के बारे में 15 चीजें जो आपको हैरान कर देंगी." लेकिन, वह कहते हैं कि उनकी भाषा बजफीड के लायक नहीं. बजफीड वेबसाइट इस तरह के छोटे और सटीक समाचारों के लिए जानी जाती है.

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अंतरराष्ट्रीय ब्लॉगिंग पुरस्कारतस्वीर: DW/M. Müller

श्टाइनमायर ने कहा कि विदेश नीति और ऑनलाइन मीडिया क्लिक संख्या की तानाशाही से पीड़ित हैं. "क्लिक्स बढ़ाने के लिए जरूरी है कई सारी नई और तेज तस्वीरें लगाना और मुझे डर है कि इससे विदेश नीति को नुकसान होगा."

तस्वीरों का खतरनाक असर

रोजाना सोशल मीडिया और मोबाइल वीडियो से ली गई तस्वीरें लोगों तक पहुंचती हैं. श्टाइनमायर कहते हैं, "इससे एक बड़ा नुकसान है, यानी लोगों की अपेक्षाएं बढ़ती हैं कि किसी घटना की वजह को जल्द से जल्द रास्ते से हटा दिया जाए, चाहे वह जैसे भी हो. लेकिन विदेश नीति ऐसे नहीं चलती और इन मामलों में प्रगति धीरे होती है.

विदेश नीति बलप्रयोग नहीं करता, आदेश नहीं देता. रातभर होटलों में बंद होकर बात होती है. जैसे इस सोमवार को रूस और यूक्रेन के राजनयिकों के बीच हुआ. लेकिन इस बातचीत की तस्वीरें नहीं हैं. यानी युद्ध की तस्वीरों का लोगों पर ज्यादा असर होता है. श्टाइनमायर कहते हैं कि संघर्ष जटिल होते जा रहे हैं लेकिन लोग सबकुछ काला और सफेद, अच्छे और बुरे में बांटना चाहते हैं.

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ग्लोबल मीडिया फोरम के दौरान एक वर्कशॉपतस्वीर: DW/C. Hauswedell

दोहरा शिटस्टॉर्म

यूक्रेन संकट से साफ पता चलता है, "मैं अगर रोजाना फेसबुक देखूं तो मुझे पता चलेगा कि यह प्रक्रिया कहां पहुंची है. जब भी मैं विदेश नीति को लेकर अपना मत देता हूं तो मुझे दोहरे शिटस्टॉर्म (आलोचना) का सामना करना पड़ता है. एक तरफ वह लोग हैं जो अपने तर्कों के जरिए धमकियां देते हैं और दूसरी तरफ वह जो मुझपर युद्ध शुरू करने का आरोप लगाते हैं. लेकिन श्टाइनमायर मानते हैं कि सोशल मीडिया के पास एक बड़ा मौका हैः एक मौका लोगों के साथ सीधे संपर्क करने का जो उनके स्तर पर भी फायदेमंद है.

श्टाइनमायर ने पत्रकारों से अपील की कि वह अपनी जिम्मेदारी समझें. "हमें इस लोभ में नहीं पड़ना चाहिए कि हम खबरों को सफेद या काला बनाएं, जहां मामला साफ नहीं है." उन्होंने कहा कि इंटरनेट विदेश नीति के लिए चुनौती है क्योंकि देशों की सीमाएं होती हैं लेकिन इंटरनेट में कोई सरहद नहीं होता. इसलिए पूरे विश्व में इंटरनेट के लिए एक जैसे कानून होने चाहिए. एक तरफ आजादी तो दूसरी तरफ निजी सुरक्षा की गारंटी देनी होगी.

रिपोर्टः मार्टिन मूनो/एमजी

संपादनः महेश झा