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कृष्णनगर में दो महिलाओं का दिलचस्प चुनावी मुकाबला

प्रभाकर मणि तिवारी
११ मई २०२४

पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में जलंगी नदी के किनारे बसे ऐतिहासिक कृष्णनगर संसदीय सीट पर इस बार दो महिलाओं के बीच विरासत और इतिहास की जंग है.

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कृष्णनगर में चुनाव प्रचार के दौरान महुआ मोइत्रा
महुआ मोइत्रा को पैसे लेकर सवाल पूछने के आरोप में संसद से बर्खास्त किया गया थातस्वीर: Prabhakar Mani Tewari/DW

यह दोनों महिलाएं हैं नगद लेकर सवाल पूछने के आरोप में संसद से निष्कासित पूर्व स्थानीय सांसद और तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार मोहुआ मोइत्रा और स्थानीय राजपरिवार की उत्तराधिकारी अमृता राय. बीजेपी ने यहां अमृता राय को अपना उम्मीदवार बनाया है. दूसरी ओर, लेफ्ट और कांग्रेस के साझा उम्मीदवार एस.एम.सादी भी अपनी जीत के दावे कर रहे हैं. इस सीट पर चौथे चरण में 13 मई को मतदान होना है.

जस की तस शहर की समस्याएं

कृष्णनगर सीट अपने ऐतिहासिक विरासत और उम्मीदवारों के कारण लोकसभा चुनावमें राज्य की सबसे अहम सीटों में शामिल हो गई है. यह इलाका किसी दौर में लेफ्ट का गढ़ था. वह नौ बार यह सीट जीत चुकी है. हालांकि बीते तीन चुनावों में यहां तृणमूल कांग्रेस का ही परचम लहराता रहा है. सांसद चाहे किसी भी पार्टी का रहा हो, शहर की समस्याएं जस की तस हैं.

अनियंत्रित शहरी विकास के कारण होने वाली समस्याओं के अलावा जलंगी नदी पर बनने वाले बांध और शहर के बीचोबीच एक रेलवे ओवरब्रिज की मांग दशकों पुरानी है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि अब तक किसी ने भी इस मुद्दे पर कुछ खास काम नहीं किया है. बावजूद इसके कई लोग चाहते हैं कि इस बार भी महुआ ही जीतें.

कृृष्णनगर का सेल्फी प्वाइंट
कृष्णनगर में दो महिलाओं के बीच मुकाबला दिलचस्प हो गया हैतस्वीर: Prabhakar Mani Tewari/DW

कृष्णनगर में रहने वाली गृहिणी शोभा घोष डीडब्ल्यू से कहती हैं, "इलाके में चाहे कोई भी जीते, स्थानीय समस्याओं पर ध्यान देना जरूरी है. बीजेपी उम्मीदवार को राजनीति की कितनी समझ है, यह तो नहीं पता. वो पहली बार राजनीति में उतरी हैं. लेकिन महुआ मोइत्रा की संसद में सक्रियता के कारण कृष्णनगर हमेशा सुर्खियों में रहा है. अब शायद अपने दूसरे कार्यकाल में वह इलाके की समस्याओं पर भी ध्यान देंगी."

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इसी तरह एक कॉलेज में एम.काम की पढ़ाई करने वाले आशुतोष मुखर्जी का कहना है, "तमाम दलों ने इस सीट को प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है. लेकिन उनको स्थानीय समस्याओं के साथ ही रोजगार और उद्योगों पर भी ध्यान देना चाहिए. यहां रोजगार के नाम पर कुछ भी नहीं है."

बीजेपी के लिए महुआ को हराना अहम है. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान संसद में अडानी से संबंधित सवाल उठा कर सरकार की नाक में दम कर दिया था. आखिर में उनकी सदस्यता तक रद्द कर दी गई. यही वजह है कि बीजेपी ने उनको हराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है. उधर टीएमसी ने भी यहां महुआ की जीत को अपनी नाक और साख का सवाल बना लिया है.

अमृता राय का शाही परिवार

बीजेपी उम्मीदवार अमृता राय को स्थानीय लोग रानी मां के नाम से संबोधित करते हैं. इस चुनाव में अचानक वर्ष 1757 में हुए पलासी के युद्ध का जिक्र भी होने लगा है. दरअसल, अमृता राय उसी कृष्णचंद्र राय के परिवार से हैं जिन पर पलासी की लड़ाई में बंगाल के तत्कालीन नवाब सिराजुद्दौला के खिलाफ अंग्रेजों का साथ देने के आरोप लगते रहे हैं. हालांकि अमृता राय की दलील है कि दरअसल कृष्णचंद्र राय सिराज के खिलाफ साजिश में शामिल होकर अंग्रेजों की सहायता से सनातन धर्म की रक्षा करना चाहते थे.

कृष्णनगर में बीजेपी का चुनाव कार्यालय
कृष्णनगर के शाही परिवार की उत्तराधिकारी हैं बीजेपी उम्मीदवार अमृता रायतस्वीर: Prabhakar Mani Tewari/DW

अमृता की उम्मीदवारी ने एक बार फिर राजा-रजवाड़ों के दौर और ब्रिटिश शासनकाल की घटनाओं पर आरोप-प्रत्यारोप और बहस तेज कर दी है. बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के लिए यह सीट किस कदर नाक का सवाल बन गई है, यह इसी से पता चलता है प्रधानमंत्री समेत पार्टी के कई दिग्गज नेता, अमृता के समर्थन में चुनावी सभाओं को संबोधित कर चुके हैं. अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती ने भी यहां रोड शो किया है. 

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माना जाता है कि राजा कृष्णचंद्र राय (1728-1782) के नाम पर इस शहर का नाम कृष्णनगर पड़ा था. एक अन्य मान्यता के मुताबिक राजा कृष्णचंद्र राय श्रीकृष्ण के भक्त थे. इसलिए उन्होंने इस शहर का नाम कृष्णनगर रखा था. कृष्णनगर के बीचोबीच अब राजबाड़ी की शानदार इमारत खड़ी है.राजबाड़ी की दुर्गापूजा भी काफी मशहूर है. राजनीति में उतरने वाली इस राजपरिवार की पहली सदस्य अमृता राय कहती हैं, कि वो आम लोगों की आवाज बनने के लिए राजनीति में आई हैं. 

दोबारा जीत के लिए मोइत्रा आश्वस्त

दूसरी तरफ महुआ मोइत्रा अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं. कृष्णनगर साल 2009 से ही टीएमसी का मजबूत गढ़ रहा है. वर्ष 2009 और 2014 में यहां अभिनेता तापस पाल जीते थे. वर्ष 2019 में ममता बनर्जी ने यहां से महुआ मोइत्रा को टिकट दिया. उन्होंने भी बीजेपी के कल्याण चौबे को करीब 63 हजार वोटों से हरा कर यहां टीएमसी की जीत का सिलसिला बनाए रखा.

महुआ अपनी रैलियों में संसद से निष्कासन के अलावा केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी की हिंदुत्ववादी राजनीति और ममता बनर्जी सरकार की कल्याण योजनाओं को प्रमुख मुद्दा बना रही हैं. अल्पसंख्यक इलाके में एक रैली में उन्होंने कहा, "अब बीजेपी यह तय करेगी कि लोग क्या पहनेंगे और क्या खाएंगे. बीजेपी यह तय करना चाहती है कि आप लुंगी पहन सकते हैं या नहीं. महुआ का दावा है कि वो पिछली बार 60 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से जीती थी, "इस बार यह आंकड़ा एक लाख के पार  जाएगा."

कृष्णनगर में लगे चुनावी पोस्टर
यह सीट कभी लेफ्ट पार्टी का गढ़ मानी जाती थीतस्वीर: Prabhakar Mani Tewari/DW

बीजेपी का दावा है कि लोग टीएमसी और उसकी सरकार के भ्रष्टाचार से आजिज आ चुके हैं. पार्टी के नेता और अमृता राय के चुनाव अभियान के संयोजक सुदीप मजूमदार डीडब्ल्यू से बातचीत में कहते हैं, "इस बार यहां बीजेपी की जीत में कोई संदेह नहीं है. इलाके के लोगों ने लगातार तीन बार यहां से टीएमसी उम्मीदवार को चुना है. राज्य में भी उसकी ही सरकार है. बावजूद इसके स्थानीय समस्याएं जस की तस हैं. इसलिए लोगों ने बदलाव का मन बना लिया है."

लेफ्ट का पुराना गढ़

सीपीएम उम्मीदवार एस.एम.सादी ने इसे ही अपना प्रमुख मुद्दा बनाया है. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "इलाके के लोगों ने केंद्र की बीजेपी सरकार को भी देख लिया है और राज्य की टीएमसी सरकार को भी. यहां हमारी पार्टी लगातार नौ बार चुनाव जीत चुकी है. अब लोगों ने एक बार फिर बदलाव का मन बना लिया है. कृष्णनगर के वोटरों को अब झांसे में नहीं रखा जा सकता."

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सीपीएम और कांग्रेस के साझा उम्मीदवार एस.एम.सादी अगर तृणमूल के अल्पसंख्यक वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब रहते हैं तो चुनावी नतीजे बदल सकते हैं.