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अपराधभारत

क्या होता है "डिजिटल अरेस्ट", साइबर अपराध का नया तरीका

आमिर अंसारी
१५ मई २०२४

भारत ने साइबर अपराधियों द्वारा जांच एजेंसियों का अधिकारी बताकर लोगों को "डिजिटल अरेस्ट" करने को लेकर अलर्ट जारी किया है.

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भारत में तेजी से बढ़ रहे साइबर अपराध के मामले
भारत में तेजी से बढ़ रहे साइबर अपराध के मामले तस्वीर: Pond5 Images/IMAGO

भारत के गृह मंत्रालय ने साइबर अपराधियों द्वारा खुद को पुलिस अधिकारी या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी केंद्रीय एजेंसियों का प्रतिनिधि बताकर "ब्लैकमेल" और "डिजिटल गिरफ्तारी" के खिलाफ अलर्ट जारी किया है.

भारत में बीते कुछ समय में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जहां साइबर अपराधी खुद को पुलिस, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और नारकोटिक्स ब्यूरो जैसी जांच एजेंसियों का अधिकारी बताकर पीड़ितों को धमकी देते हैं और ब्लैकमेल करते हैं. यहां तक कि उन्हें "डिजिटली गिरफ्तार" भी कर लिया जाता है.

मंगलवार को जारी एक अलर्ट में गृह मंत्रालय का कहना है कि ऐसा माना जाता है कि इसे सीमा पार आपराधिक सिंडिकेट द्वारा ऑपरेट किया जाता है. ये साइबर अपराधी पुलिस स्टेशनों और सरकारी कार्यालयों की तर्ज पर बनाए गए स्टूडियो का इस्तेमाल करने में माहिर होते हैं और असली दिखने के लिए वर्दी भी पहनते हैं.

क्या होता है "डिजिटल अरेस्ट"

गृह मंत्रालय के मुताबिक साइबर अपराधी आमतौर पर संभावित पीड़ित को कॉल करते हैं और कहते हैं कि उन्होंने कोई पार्सल भेजा है या हासिल किया है, जिसमें अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या कोई अन्य प्रतिबंधित चीज है.

ऐसे कथित केस में समझौता करने के लिए पैसे की मांग की जाती है. कुछ मामलों में पीड़ितों को "डिजिटल अरेस्ट" का सामना करना पड़ता है. मांग पूरी न होने तक पीड़ित को स्काइप या अन्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म पर साइबर अपराधियों के लिए ऑनलाइन मौजूद रहने पर मजबूर किया जाता है.

साइबर अपराधियों के नए-नए तरीके

साइबर अपराधी अपने संभावित पीड़ितों को ठगने के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं. कई मामलों में पीड़ितों से कहा जाता है कि उनका कोई करीबी या रिश्तेदार किसी अपराध या दुर्घटना में शामिल पाया गया है और उनकी हिरासत में है. इसके बाद साइबर अपराधी मामले में समझौता करने के लिए पैसे की मांग करते हैं.

गृह मंत्रालय का कहना है कि देश भर में कई पीड़ितों ने ऐसे अपराधियों के कारण बड़ी मात्रा में धन गंवा दिया है. मंत्रालय ने कहा, "यह एक संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध है और पता चला है कि इसे सीमा पार अपराध सिंडिकेट द्वारा संचालित किया जाता है."

अब सरकार ने ऐसे अपराधियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. साइबर अपराधियों पर कार्रवाई के लिए गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) बनाया गया है, जो देश में साइबर अपराध से निपटने से संबंधित गतिविधियों का समन्वय करता है.

I4C ऐसे मामलों की पहचान और जांच के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस अधिकारियों को इनपुट और तकनीकी मदद भी देता है. ताजा मामले में I4C ने माइक्रोसॉफ्ट की मदद से ऐसी गतिविधियों में शामिल 1,000 से अधिक स्काइप आईडी को भी ब्लॉक कर दिया है.

राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर साइबर अपराधियों द्वारा सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर कर धमकी, ब्लैकमेल, जबरन वसूली और डिजिटल अरेस्ट जैसी वारदातों को अंजाम देने के संबंध में पीड़ितों की ओर से बड़ी संख्या में शिकायतें दर्ज कराई जा रही हैं.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की साल 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में देशभर में साइबर अपराध के कुल 52,974 दर्ज किए गए थे जबकि साल 2022 में ये बढ़कर 65,893 मामले हो गए. इस तरह से साइबर अपराध के मामलों में एक साल के दौरान करीब 24 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई.